11 प्रमुख स्मारकों एवं स्थलों पर शूटिंग करने का शुल्क लिया जायेंगा
- प्रदेश में “अपनी धरोहर अपनी पहचान” नीति जारी
सहारनपुर [24CN]। उत्तर प्रदेश सरकार ने स्मारकों एवं पुरास्थलों आदि के अनुरक्षण एवं विकास के लिए भारत सरकार की “एडाप्ट-ए-हेरिटेज पाॅलिसी” की भांति “एडाप्ट-ए-हेरिटेज पाॅलिसी“-“अपनी धरोहर अपनी पहचान” नीति बनाई गयी है। इस योजनान्तर्गत प्रथम चरण में पुरातत्व निदेशालय संस्कृति विभाग द्वारा स्मारक चित्र बनाये जाने के लिए 11 प्रमुख स्मारकों एवं स्थलों का चयन किया गया है। इस नीति से अप्रत्यक्ष रूप से जनसामान्य को रोजगार सृजन के अवसर प्राप्त होंगे। प्रदेश सरकार द्वारा क्रियान्वित वर्तमान फिल्म नीति का उद्देश्य भी प्रदेश की सांस्कृति, पौराणिक ऐतिहासिक विरासत तथा गौरवशाली परम्परा को देश-विदेश में प्रचारित-प्रसारित कर उत्तर प्रदेश की सकारात्मक छवि को दर्शाना है।
मण्डलायुक्त श्री लोकेश एम0 ने आज यहां यह जानकारी दी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा निर्धारित शर्तों व नियमों के अधीन फिल्म बनाने के लिए निर्धारित शुल्क संरचना के आधार पर उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा प्रदेश में संरक्षित स्मारकों एवं स्थलों में फिल्मांकन के लिए 10 हजार रूपये प्रत्यर्पणीय सुरक्षा जमा सहित 50 हजार प्रतिदिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक नियमों एवं शर्तों के अधीन निर्धारित किया गया है। उन्होने कहा कि इससे सरकार के राजस्व में अभिवृद्धि करने, प्रदेश के फिल्म उद्योग को प्रोत्साहित करने, अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन करने तथा संरक्षित स्मारकों एवं स्थलों का सम्यक प्रचार-प्रसार करने से पर्यटन को भी बढावा मिलेगा।
श्री लोकेश एम0 ने कहा कि राज्य संरक्षित स्मारकों एवं स्थलों में फिल्म बनाने के लिए इच्छुक संस्थाओं को राज्य पुरातत्व विभाग उत्तर प्रदेश के निदेशक को कम से कम एक सप्ताह पूर्व आवेदन पत्र प्रेषित करना होगा। स्मारक को कोई क्षति अथवा परिसर को अस्वच्छ तो नहीं किया गया है, इस दृष्टि से स्मारक के विभिन्न हिस्सों की फिल्मांकन करने से पूर्व तथा पश्चात में स्मारक की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी की जायेगी। आवेदनकर्ता द्वारा फिल्मांकन के पश्चात स्वयं के व्यय पर परिसर में सफाई का कार्य कराया जाएगा। कोई क्षति एवं अस्वच्छता पाए जाने पर उत्तर प्रदेश प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों तथा पुरातत्वीय स्थनों और अवशेषों का परिरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही की जायेगी। फिल्मांकन प्रक्रिया के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जाएगा जिसमें जिलाधिकारी द्वारा नामित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अध्यक्ष तथा निदेशक संस्कृति एवं निदेशक पुरातत्व द्वारा नामित उप निदेशक स्तर के अधिकारी सदस्य होंगे।