जेएनयू में फीस कम, मगर सिर्फ बीपीएल के लिए!
- फीस बढ़ोतरी में 50 फीसदी की कमी सिर्फ बीपीएल स्टूडेंट्स के लिए की गई है
- फीस वापसी का शोर तो हुआ मगर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और टीचर्स का कहना है कि यह सिर्फ झांसा है
- यह साफ नहीं है कि बीपीएल परिवार का इनकम स्लैब क्या होगा
- जेएनयू टीचर्स यूनियन के प्रेजिडेंट डॉ. डी.के. लोबियाल कहते हैं, महीने का चार्ज भी 3 हजार रुपये ही रहेगा
नई दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) स्टूडेंट्स के आंदोलन पर फीस बढ़ोतरी में कमी की गई है। मगर, 50% की यह कमी सिर्फ बीपीएल स्टूडेंट्स के लिए की गई है। प्रशासन ने सिर्फ मेस सिक्यॉरिटी 12 हजार रुपये से वापस 5500 रुपये कर दी है, जो वैसे भी रिफंड हो जाती है। एचआरडी मिनिस्ट्री के ऐलान के बाद हुई फीस वापसी का शोर तो हुआ मगर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और टीचर्स का कहना है कि यह सिर्फ झांसा है।
स्टूडेंट्स का कहना है कि जो फीस बढ़ाई गई थी, उसमें मामूली कमी की गई है। ऊपर से बीपीएल की शर्त रखी गई। अब भी स्टूडेंट्स से यूटिलिटी चार्ज और सर्विस चार्ज लिया जा रहा है। इन्हीं दो चार्ज की वजह से फीस बढ़ रही है। स्टूडेंट्स यूनियन की प्रेजिडेंट आईशी घोष का कहना है कि यह स्टूडेंट्स के साथ एक मजाक है। ‘हम पीछे नहीं हटेंगे, विरोध जारी रहेगा।’
बुधवार को जेएनयू की एग्जिक्यूटिव काउंसिल (ईसी) की मीटिंग में फीस कम करने का फैसला लिया गया। इस मीटिंग को पहले कैंपस में कन्वेंशन सेंटर में रखा गया था मगर स्टूडेंट्स के प्रदर्शन को देखते हुए जगह बदलकर करीब 15 किलोमीटर दूर असोसिशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज कर दी गई। जेएनयू टीचर्स असोसिएशन का आरोप है कि प्रशासन ने सही वक्त पर ईसी मेंबर्स को जानकारी नहीं दी और वे मीटिंग में जाने से रह गए।
जेएनयू के रजिस्ट्रार डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया, ईसी मीटिंग में हॉस्टल के नए मैन्युअल पर स्टूडेंट्स से सुझाव लिए गए थे। दीक्षांत समारोह के दिन स्टूडेंट्स के घेराव के दिन एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल ने भी कुछ स्टूडेंट्स से बातचीत की थी और प्रशासन से मामला को देखने का निवेदन किया। यह सब देखते हुए ईसी से तय किया है कि सिंगल रूम का किराया 20 रुपये से 600 रुपये और डबल रूम का किराया 10 रुपये से 300 रुपये महीना किया जाएगा। मगर यह किराया पहले भी था, यानी बदलाव नहीं है। यूटिलिटी चार्ज और सर्विस चार्ज भी स्टूडेंट्स से लिया जाएगा। मैन्यूअल में सर्विस चार्ज करीब 1700 रुपये महीना रखा गया था मगर अब प्रशासन ने इसे साफ नहीं किया है।
फंसा बीपीएल का एंगल!
ईसी ने यह भी तय किया है कि जो स्टूडेंट्स गरीबी रेखा से नीचे के हैं, उन्हें इन सब चार्ज में 50% की छूट दी जाएगी, बशर्ते उन्हें जेआरएफ, एसआरएफ या कोई और फेलोशिप/स्कॉलरशिप नहीं मिल रही है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि बीपीएल परिवार का इनकम स्लैब क्या होगा। जेएनयू टीचर्स यूनियन के प्रेजिडेंट डॉ. डी.के. लोबियाल कहते हैं, महीने का चार्ज भी 3 हजार रुपये ही रहेगा। जो बीपीएल से नहीं, उन्हें काउंट नहीं किया जाएगा। बीपीएल को भी 1500 रुपये देने ही होंगे।
स्टूडेंट्स का कहना है कि बीपीएल को प्रशासन से चालाकी से साफ नहीं किया है, कई सालों से बीपीएल सर्वे तक नहीं किया गया है। बीपीएल का इनकम का पैमाना कुछ सरकारी वेबसाइट में इसे 27 हजार रुपये सालाना बताया गया है। हालांकि, रजिस्ट्रार का कहना है कि भारत में लाखों परिवार बीपीएल से हैं और सरकार इसका फायदा दे रही है। सरकार के ही पैमाने को हम मानेंगे। यह सर्टिफिकेट बनना भी आसान है।
‘कर्फ्यू टाइम’ और ‘ड्रेस कोड’ हटा
ईसी ने तय किया है कि अब हॉस्टल में आने-जाने के टाइम पर पाबंदी हटा दी जाएगी। इससे पहले यह तय किया गया था कि स्टूडेंट्स को रात 11 बजे अपने हॉस्टल में लौटने होगा, जिसका स्टूडेंट्स विरोध कर रहे थे। हॉस्टल मैन्यूअल से मेस में सही कपड़ों में आने के नियम को हटा दिया गया है, जिसे ‘ड्रेस कोड’ बताकर स्टूडेंट्स इसके खिलाफ थे।