नई दिल्ली : Father’s Day हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। इस साल 20 जून यानी आज फादर्स है। इसे आधिकारिक रूप से पहली बार साल 1910 में मनाया गया था। इसका मुख्य मकसद लोगों को पिता के निःस्वार्थ कर्तव्यों के प्रति सम्मान और धन्यवाद देने के लिए जागरूक करना है। पिता को घर का मुख्य स्तंभ माना जाता है और पिता अपनी जिम्मेवारियों को समर्पित भाव से निभाते हैं। इस दिन दुनियाभर में कई सांस्कृतिक किए जाते हैं। हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के चलते पिछले दो वर्षों से वर्चुअल (ऑनलाइन) सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं। इनमें लोगों को पिता की जिम्मेवारियों और कर्तव्यों से अवगत कराया जाता है। भारत में दैवीय काल से माता-पिता को ईश्वर समतुल्य दर्जा मिला है। पिता के आदेशों को अंतिम माना जाता है। आधुनिक समय में भी पिता को समान अधिकार प्राप्त है।

इसके लिए इस्कॉन की तरफ से अनोखी पहल करने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पहले कार्यक्रम में पिता के कल्याण हेतु ऑनलाइन आरती का विकल्प दिया गया है। बच्चे आरती कार्यक्रम में शामिल होकर पिता के कल्याण हेतु प्रार्थना कर सकते हैं। वहीं, दूसरे विकप्ल में डिस्कवर योर परमानेंट हैप्पीनेस (डीवाईपीएच) कोर्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें पुरुषों को पिता की आध्यात्मिक जिम्मेदारी से अवगत कराया जाएगा।

डिस्कवर योर परमानेंट हैप्पीनेस (डीवाईपीएच) कोर्स में चरणबद्ध तरीकों से अध्यात्म से संबंधित छह विषयों के सवालों का जबाव दिया जाएगा। इस बारे में इस्कॉन के प्रमुख प्रद्युम्न प्रभु ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते दो वर्षों से लोग तनाव भरी ज़िंदगी जी रहे हैं। खासकर कोरोना वायरस की दूसरी लहर से लोगों की ज़िंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस विषम परिस्थिति में बच्चों को तनाव से सुरक्षित रखना बहुत जरुरी है। इसके लिए इस्कॉन की तरफ से फादर्स डे पर कई कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों से पिता को विषम परिस्थिति में जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त होगा। आगे उन्होंने कहा कि बच्चों को आगे आने के लिए अनुरोध करता हूं कि वे आगे आएं और पिता के साथ कार्यक्रम से जुड़ें।