फर्रुखाबाद मामला: सुभाष ने घर में ही बनाए थे देसी बम, कमरे में मिला धमाके का ढेर सारा सामान

फर्रुखाबाद मामला: सुभाष ने घर में ही बनाए थे देसी बम, कमरे में मिला धमाके का ढेर सारा सामान

23 बच्चों को बंधक बनाने वाला सिरफिरा सुभाष किसी अच्छे आतिशबाज व मिस्त्री से कम नहीं था। बृहस्पतिवार को जब पुलिस ने दरवाजा खुलवाने का दबाव बनाया तो सुभाष ने घर के अंदर से ही डेटोनेटर के जरिए बरामदे में ईंटों के टुकड़ों के नीचे दबा देसी बम चला दिया था। इसमें कोतवाल व दीवान घायल हुए थे। लोगों ने समझा कि सुभाष ने दरवाजे के नीचे से देसी बम फेंककर विस्फोट किया है। जब घर के अंदर से विस्फोटक के अलावा डेटोनेटर मिला तो सारी कहानी सामने आ गई।

सुभाष ने बच्चों को बंधक बनाने की योजना कई दिन पहले ही तैयार कर ली थी। उसने घर में देसी बम तैयार किए और डेटोनेटर के जरिए विस्फोट का तरीका सीखा। बच्चों के आने से पहले बाहर दरवाजे के पास ईंटों के टुकड़ों के नीचे देसी बम में तार बांधकर छिपा दिया था। तार का दूसरा छोर कमरे के अंदर डेटोनेटर से बंधा था।

कोतवाल राकेश कुमार, यूपी 112 के दीवान जयवीर सिंह यादव ने दरवाजा खुलवाने के लिए ईंट पत्थर चलाए तो सुभाष ने डेटोनेटर के जरिये विस्फोट कर दिया था। इसमें कोतवाल व दीवान समेत सिपाही सुनील घायल हो गया था। रात को जब पुलिस ने मुठभेड़ में सुभाष मार गिराया तो उसके कमरे में रखे सामान को देखकर अफसर दंग रह गए। सुभाष ने अधिक शराब भी पी थी। नशे के कारण भी ज्यादा मूवमेंट नहीं कर सका था।

कमरे में बरामद हुए विस्फोटक, असलहे व कारतूस
सुभाष के कमरे से पुलिस ने चार बड़े सुतली बम तार लगे हुए, चार सुतली बम छोटे, चार दैमार बम, पांच किलो के सिलिंडर के ऊपरी हिस्से को काटकर विस्फोटक से भरकर तैयार किया बम, प्लास्टिक के डिब्बे में भरा विस्फोटक, तार लगा डेटोनेटर, दो बैटरी, 315 बोर की देसी राइफल, 315 बोर का तमंचा, 15 कारतूस 315 बोर के, 5 खोखे 315 बोर के बरामद किए गए।

स्वाट के चार सिपाहियों ने सीढ़ी से उतरकर तोड़ा पिछला दरवाजा
आईजी जोन ने आते ही सबसे पहले डीएम व एसपी से वार्ता कर आपरेशन को अंजाम देने की तैयारी की। सुभाष की छत पर पहुंचे आईजी समेत सभी अफसरों ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहनी और दिशा निर्देश दिए। स्वाट टीम के सिपाही सचेंद्र, अनुज तिवारी, नवनीत यादव, निशांत सीढ़ी के जरिये कमरे के पास बने शौचालय से उतर गए। फिर मकान के पीछे लगा लकड़ी का दरवाजा लात मारकर तोड़ दिया। दरवाजा टूटते ही सुभाष आगे के दरवाजे की कुंडी खोलकर पीछे भागा। स्वाट के चारों सिपाहियों के सहयोग में टीम के प्रभारी दिनेश गौतम, नवाबगंज एसओ अजय नरायण सिंह व एसओ कमालगंज अंगद सिंह सिपाहियों के साथ कवरिंग अटैक में नीचे उतरे। जब सुभाष ने पुलिस पार्टी पर फायर किया तो जवाबी फायरिंग में सुभाष मारा गया।

आगे से गांववालों ने पत्थर चलाए, पीछे से घुसी पुलिस
आरोपी सुभाष को भ्रमित करने के लिए गुरुवार रात 12:30 बजे आगे के गेट पर गांव के लोगों ने पथराव कर दबाव बनाया। गांव वाले ईंट से दरवाजा तोड़ने का प्रयास कर जोर-जोर से गाली देकर दरवाजा खोलने को कह रहे थे, जबकि पुलिस की टीम पीछे से सीढ़ी लगाकर घर में उतरी। सुभाष इससे अंजान था और आगे के दरवाजे पर ही खड़ा होकर अंदर से धक्का लगा रहा था। सिपाहियों ने पीछे का दरवाजा तोड़ा तो सुभाष ने आगे के दरवाजे की कुंडी खोल दी थी। उसने सोचा कि भीड़ अंदर की ओर भागेगी और वह बच जाएगा। इस पर वह असलहे लेकर पीछे की ओर भागा था। हालांकि गांव के लोगों को अंदर घुसने से पुलिस ने रोक दिया। ऐसे में अंदर ही फंस गया सुभाष मारा गया। यह कार्ययोजना आईजी जोन मोहित अग्रवाल ने तैयार की थी।

गोली व बम दहशत में आए बच्चे, विनीत ने संभाला

तहखाने में बंद बच्चे गोली व बम चलने से सहम गए। बंधक बच्चों में शामिल किशोर विनीत ने उन्हें संभाला। उसने बच्चों को समझाया कि डरें नहीं और तहखाने की अंदर से कुंडी बंद कर ली। पर शातिर सुभाष की पत्नी रूबी ने कुंडी खोल दी। इसके बाद सुभाष ने बच्चों को तमंचा दिखाकर धमकाया। इससे बच्चे शांत हो गए। मोहम्मदाबाद के गांव करथिया में जिन 25 बच्चों को शातिर ने बंधक बनाया था उनमें गांव के रामकिशोर कठेरिया का 14 वर्षीय बेटा कक्षा नौ का छात्र विनीत भी था। उसने अपनी समझदारी व निडरता का परिचय दिया।

विनीत ने बताया कि जब सुभाष ने बंद किया तो उसने विरोध किया। इसके बाद जब उसने पुलिस पर फायरिंग की और हथगोला फेंका तो उसके साथ बंद किए गए सभी बच्चे सहमकर रोने लगे। इस पर उसने बच्चों को हौसला दिया कि डरो नहीं सभी लोग बाहर निकलेंगे। ये कहने के बाद उसने तहखाने की कुंडी अंदर से बंद कर ली। वहां बम चलाने के लिए लगाए तार को विनीत ने तोड़ डाला।

पर अंदर सुभाष की पत्नी रूबी थी। उसने कुंडी खोल दी। सुभाष अंदर पहुंच गया और तमंचा दिखाकर बच्चों को धमकाया। विनीत ने इसका विरोध किया तो सुभाष ने उसे थप्पड़ जड़ दिया। पिर भी विनीत ने कहा कि उन्हें वह क्यों बंधक बनाए है। आशाराम की जुड़वां बेटियां गंगा (12) व जमुना (12) भी बच्चों को जल्द छूटने का ढांढस बंधाती रहीं।

बम की धमकी के बावजूद बहादुर अंजली ने नहीं खोली कुंडी
बेटियां अपनी पर आ जाएं तो वह किसी से नहीं डरतीं। ऐसा ही कक्षा नौ में पढ़ने वाली अंजली ने भी किया। सुभाष और उसकी पत्नी जब बाहर थे तभी अंजली ने तहखाने की कुंडी अंदर से बंद कर ली। सुभाष तहखाने में रखे कारतूस व बम लेने गया तो अंजली ने कुंडी नहीं खोली। सुभाष ने धमकाया कि वह सभी को बम से उड़ा देगा, तो अन्य बच्चे डर गए पर अंजली ने कहा कि वह अब कुंडी नहीं खोलेगी। मारना है तो मार डालो, देखें कैसे मारोगे।

अंजली ने बताया कि रात को जब करीब 10:30 बजे आदेश की छह माह की बंधक बेटी शबनम रोने लगी तो वह उसे अपनी गोद में लेकर चुप कराने लगी। तभी रूबी ने पति सुभाष से शबनम को उसकी मां को देने को कहा। सुभाष तैयार हो गया। अंजली ने शबनम को रूबी को दे दिया। रूबी उसे लेकर सुभाष को देने बाहर गई। तभी अंजली ने अंदर से कुंडी बंद कर ली।

सुभाष जब शबनम को उसकी मां को देकर लौटा तो तो अंजली ने कुंडी खोलने से इनकार कर दिया। इस पर सुभाष ने धमकी दी कि वह सभी को बम से उड़ा देगा। यह सुन अंजली व विनीत को छोड़कर अन्य बच्चे डर गए और वह कुंडी खोलने को कहने लगे। अंजली ने कहा कि वह कुंडी नहीं खोलेगी। अंजली व विनीत ने अन्य बच्चों को ढांढस बंधाया कि पुलिस उनको बाहर निकालेगी। बाद में पुलिस अंदर पहुंच गई तभी अंजली ने कुंडी खोली।