किसान धान की पराली खेतों में न जलायें- उप निदेशक कृषि
सहारनपुर [24CN]। उपनिदेशक कृषि डाॅ0 राकेश कुमार ने किसानों का आह्वान किया है कि पर्यावरण संतुलन और मिट्टी की उर्वरकता को बनाये रखने के लिए धान की पराली को खेतों में ना जलाएं, इसको खेत में ही मिलाएं। उन्होने कहा कि इसके लिए अब जनपद में बहुत अच्छे यंत्र जैसे सुपर सीडर विभिन्न किसानों, ग्राम पंचायत समितियों, गन्ना समितियों, कोऑपरेटिव सोसाइटी के पास उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग करके किसान धान की कटाई के बाद सीधे ही गेहूं की बुवाई मशीन द्वारा कर सकते हैं।
डाॅ0 राकेश कुमार ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होने कहा कि पराली को बिना जलाए किसान पराली को खेत में ही सड़ा सकते हैं इसके लिए पराली वाले खेत में पानी भरें और 2 किलो यूरिया प्रति बीघा के हिसाब से छिड़क दें या वेस्ट डीकंपोजर का घोल भी स्प्रे मशीन के द्वारा छिड़क दें तो 15 से 20 दिन में यह पराली स्वयं ही सड़ जाएगी और खेत में कार्बनिक तत्वों को बढ़ाएगी। ऐसा करने से भविष्य में की जाने वाली फसल की उपज भी बढ़ेगी। उन्होने कहा कि इसके लिए वेस्ट डी कंपोजर सभी बीज स्टोरों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं वहां से किसान ले सकते हैं। इसके अलावा जो कृषि यंत्र हैं वह भी किसानों के आसपास फॉरम मशीनरी बैंक या कस्टम हायरिंग सिस्टम के अंतर्गत सरकार द्वारा उपलब्ध कराएं गये है। उनका भी उपयोग किसानों द्वारा किया जा सकता
उप कृषि निदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा पराली जलाने पर दंड का प्रावधान किया गया है और इसकी पुनरावृति करने पर कारावास तक की सजा हो सकती है। इसलिए किसान पराली को अपने खेतों में मिलाकर खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं और पर्यावरण को क्षति ना पहुंचाएं। गेहूं की अधिक से अधिक बिजाई सुपर सीडर मशीन के माध्यम से करें बिना पराली के खेतों में जलाएं। उन्होने कहा कि यह मशीन पराली वाले खेत में जुताई करके सीड ड्रिल की तरह ही नीचे खाद ऊपर बीज बोते हुए पूरी बुवाई एक ही बार में कर देती है जिससे गेहूं बोने की लागत भी बहुत कम हो जाती है। यदि खेत में पानी की कमी है तो किसान बिजाई करने के बाद हल्का पानी चला सकते हैं जिससे कि गेहूं का जमाव शत-प्रतिशत हो। उन्होने कहा कि इससे किसी तरह की समय की बर्बादी भी नहीं होती है और गेहूं की बुवाई भी समय से हो जाती है। यह पराली बाद में सड़कर खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाती है।