मांगें नहीं मानी गईं तो ट्रैक्टर के साथ निकालेंगे ‘किसान गणतंत्र परेड’, कल होगी वार्ता, सरकार पर बढ़ाया दबाव

मांगें नहीं मानी गईं तो ट्रैक्टर के साथ निकालेंगे ‘किसान गणतंत्र परेड’, कल होगी वार्ता, सरकार पर बढ़ाया दबाव

नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों को लेकर चार जनवरी को प्रस्तावित वार्ता से पहले केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान संगठनों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे मकर संक्रांति पर 13 जनवरी को देशभर में तीनों कानूनों की होली जलाएंगे। 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर के साथ अपनी अलग ‘किसान गणतंत्र परेड’ निकालेंगे। उस दिन दिल्ली के बार्डर पर उनके धरने के दो माह हो जाएंगे।

राजपथ के गणतंत्र दिवस परेड में व्यवधान डालने की कोशिश नहीं होगी: किसान नेता

प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में किसान नेताओं ने बताया कि इस परेड के लिए अभी जगह तय नहीं हुई है। हालांकि इतना जरूर है कि इसके जरिये राजपथ के गणतंत्र दिवस परेड में व्यवधान डालने की कोशिश नहीं होगी।

चार जनवरी को वार्ता विफल होने पर देशभर में ‘जागृति पखवाड़ा’ मनाया जाएगा

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य बलबीर सिंह राजे वाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, जगजीत सिंह डल्लेवाल और योगेंद्र यादव ने बताया कि चार जनवरी को वार्ता विफल होने की स्थिति में छह जनवरी को केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल) एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर मार्च के जरिये शक्ति प्रदर्शन होगा। शाहजहांपुर पर मोर्चा लगाए किसान दिल्ली कूच करेंगे। वहीं छह से 20 जनवरी तक केंद्र सरकार के खिलाफ देशभर में ‘जागृति पखवाड़ा’ मनाया जाएगा। 23 जनवरी को सभी राज्यों की राजधानियों में राज्यपाल के निवास के बाहर किसान आंदोलन समर्थक डेरा डालेंगे।

मुख्य मांगों पर गतिरोध बरकरार

किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के आधे मसले हल होने संबंधी दावे के विपरीत कहा कि अभी मुख्य मांगों पर गतिरोध बरकरार है। स्थिति ‘पूंछ निकलने और हाथी के फंसे रहने’ वाली है। कृषि संबंधी तीनों कानून को वापस लेने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी-निजी खरीद की गारंटी पर अब भी सरकार टस से मस नहीं है। नेताओं ने दावा किया कि 30 दिसंबर की वार्ता में दो छोटे मुद्दों पर सरकार की ओर से सहमति का अब तक लिखित प्रस्ताव भी नहीं मिला है।