Farmers Protest Updates: किसानों की भूख हड़ताल जारी, रोज 11 किसान 24 घंटे का उपवास रखेंगे

नई दिल्ली । कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 26वें दिन जारी है। किसानों ने आज से भूख हड़ताल शुरू कर दी है। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां प्रदर्शन चल रहा है, वहां 11-11 किसान भूख हड़ताल पर बैठे हैं। 24 घंटे बाद 11 दूसरे किसान इस सिलसिले को आगे बढ़ाएंगे। वहीं, हरियाणा में 25 से 27 दिसंबर तक टोल फ्री किए जाएंगे। किसानों ने रविवार को ये ऐलान किया। इसके 5 घंटे बाद ही सरकार ने बातचीत के लिए पत्र भेज दी। इसमें तारीख तय करने के लिए किसानों से ही कहा गया है। किसान अभी तक इस पर फैसला नहीं लिए हैं।
कृषि मंत्री की किसानों से जल्द मीटिंग हो सकती है
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बंगाल में कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किसानों के बीच एक-दो दिन में बैठक हो सकती है। दूसरी ओर किसान नेताओं ने रविवार को कुंडली बॉर्डर पर बैठक के बाद ऐलान किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर को जितनी देर मन की बात करेंगे, किसान ताली-थाली बजाएंगे।
सरकार को समर्थन देने वाले संगठनों से मिलेंगे प्रदर्शनकारी किसान
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार को समर्थन देने वाले किसान संगठनों से मुलाकात करेंगे। हम उनसे जानेंगे कि उन्हें नए कृषि कानूनों में क्या फायदा नजर आ रहा है, साथ ही पूछेंगे कि अपनी फसलें बेचने के लिए कौनसी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल कर रहे हैं।
एनडीए में शामिल सभी दलों से मुलाकात करेंगे किसान नेता
23 दिसंबर को किसान दिवस है। किसान संगठनों ने अपील की है कि इस दिन देशभर के लोग एक दिन का उपवास रखें। 26 और 27 दिसंबर को किसान NDA में शामिल दलों के नेताओं से मिलकर उनसे अपील करेंगे कि वो सरकार पर दबाव डालें और तीनों कानून वापस करवाएं। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ भी प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे। अदाणी-अंबानी का बायकॉट जारी रहेगा। आढ़तियों पर छापेमारी के विरोध में किसान इनकम टैक्स ऑफिसों के बाहर भी प्रदर्शन करेंगे।
जिद पर अड़े हैं किसान संगठन
किसान संगठनों के नेता कृषि कानूनों को रद करने की अपनी जिद पर अड़े हैं। संसद से पारित कृषि सुधार के तीनों कानूनों को रद करने की मांग के साथ उन्होंने अपनी मांग में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी भी जोड़ ली है। सरकार एमएसपी के साथ खाद्यान्न की सरकारी खरीद जारी रखने की मांग के समर्थन में लिखित आश्वासन देने को तैयार है। लेकिन किसान संगठनों की जिद कानूनों को रद करने और एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने की है।
समझाने की हुई है कई कोशिश
दिल्ली बार्डर पर कड़ाके की ठंड के बावजूद आंदोलन कर रहे किसान नेताओं को समझाने और उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई मंचों से कृषि सुधार के कानूनों के बारे में किसानों को राजनीतिक दलों के बहकावे में आने से बचने की सलाह दी है। उन्होंने यह भी कहा है कि किसानों की हर आशंका का समाधान किया जा सकता है। इसके लिए सरकार तैयार है।
किसानों के आरोप पर फेसबुक की सफाई
फेसबुक पर किसानों के पेज ब्लॉक करने के आरोप पर फेसबुक ने सोमवार को सफाई दी। फेसबुक प्रवक्ता ने कहा कि फेसबुक पेज ‘किसान एकता मोर्चा’ पर अचानक बढ़ी एक्टिविटी की वजह से हमारे ऑटोमेटेड सिस्टम ने इसे स्पैम कर दिया, क्योंकि इससे हमारे मानकों पर खरा नहीं उतर रहा था। हालांकि, मामले को समझने के बाद हमने 3 घंटे के अंदर ही पेज को रिस्टोर कर दिया। उन्होंने बताया कि स्पैम के खिलाफ लड़ाई में हमारा मुख्य काम ऑटोमैटिक सिस्टम से ही होता है। अगर किसी अकाउंट से कम समय से बहुत ज्यादा एक्टिविटी रिकॉर्ड होती है, तो इससे हमें आशंका हो जाती है कि यहां कुछ गड़बड़ हो सकती है। ऑटोमेटेड सिस्टम के अलावा जहां जरूरत होती है, हम ह्यूमन एक्सरसाइज का भी इस्तेमाल करते हैं। इससे पहले रविवार को किसान एकता मोर्चा ने फेसबुक पर केंद्र सरकार के दबाव में उनका पेज ब्लॉक करने का आरोप लगाया था।
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेगी केरल विधानसभा
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों पर चर्चा और इनके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए बुधवार को केरल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए किसान दिल्ली सीमा पर कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि नए कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। सोमवार को मुख्यमंत्री पी विजयन की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान वाम मोर्चा सरकार ने कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने एक ट्वीट में कहा कि केरल पूरी तरह से किसानों के आंदोलन के साथ है और विधानसभा में कृषि कानूनों पर चर्चा कर उन्हें खारिज किया जाएगा। सदन में संबंधित पक्षों के नेता ही चर्चा में भाग लेंगे।