Farmers Protest: जिद के चलते अंधे मोड़ पर पहुंच सकता है आंदोलन, सरकार के प्रस्तावों का किसान संगठनों ने नहीं दिया जवाब

Farmers Protest: जिद के चलते अंधे मोड़ पर पहुंच सकता है आंदोलन, सरकार के प्रस्तावों का किसान संगठनों ने नहीं दिया जवाब

नई दिल्ली। कृषि सुधार के नए कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन उनकी जिद के चलते अंधे मोड़ पर पहुंच सकता है। 11 दौर की वार्ता के बावजूद कोई हल नहीं निकलता देख सरकार ने भी अपना रुख कड़ा कर लिया है। सरकार की ओर से दिए प्रस्तावों पर किसान प्रतिनिधियों को शनिवार को अपना पक्ष रखना था जिसके बारे में देर शाम तक संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया। फिलहाल उनका जोर समस्या के समाधान से अधिक 26 जनवरी को पूर्व घोषित ट्रैक्टर रैली के आयोजन पर है। इसके मार्फत वे अपने आंदोलन की ताकत का प्रदर्शन करना चाहते हैं।

दिल्ली बार्डर पर आंदोलन करने पहुंचे किसानों का हुजूम फिलहाल किसान नेताओं की सुनने को तैयार नहीं है। वे पूर्व निर्धारित ट्रैक्टर रैली की तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसीलिए किसान नेता भी फिलहाल चुप्पी साधकर अपने निर्धारित कार्यक्रमों को अंजाम देने में लगे हैं। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ट्रैक्टरों की आमद लगातार बढ़ रही है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने राजधानी की रिंग रोड पर रैली निकालने की अनुमति नहीं दी है।

किसानों का समस्या के समाधान से अधिक जोर आंदोलन की रणनीति पर

11वें दौर की वार्ता टूटने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि वार्ता की पवित्रता खत्म हो जाए तो भला समाधान की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। किसान संगठनों के नेता एक ओर तो वार्ता करने पहुंच रहे थे और दूसरी तरफ इसी दौरान आंदोलन की आगे की रणनीति व रूपरेखा घोषित कर रहे थे। समस्या के समाधान से अधिक उनका जोर आंदोलन की रणनीति बनाने पर रहा। इस तरह के माहौल में वार्ता का कोई औचित्य ही नहीं है। वार्ता के हर चरण में किसान नेताओं का रुख अड़ियल ही रहा। वे अपनी जिद से हटने को राजी ही नहीं हुए।

संसद से पारित तीन कृषि सुधार कानूनों को रद करने के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की लीगल गारंटी की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली बार्डर पर पिछले दो महीने से मोर्चा लगाए किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच वार्ता में भी कोई हल नहीं तलाशा जा सका है। इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है। इसे लेकर भी आंदोलनकारी किसानों को आपत्ति है।