Farmers Protest : किसानों से अगले दौर की वार्ता आज, सरकार समाधान को लेकर गंभीर

नई दिल्ली । केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की केंद्र सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत आज राजधानी के विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे होगी। हालांकि, इस वार्ता के नतीजों को लेकर संशय है, क्योंकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। वहीं, सरकार कह चुकी है कि इन कानूनों में संशोधन तो हो सकता है, लेकिन उन्हें रद नहीं किया जाएगा।
वार्ता पर संकट के बादल
वार्ता से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को पत्र लिखकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। उनका कहना है कि वे तीनों नए कृषि कानूनों को रद करने और एमएसपी की लीगल गारंटी के एजेंडे पर ही बातचीत करेंगे। सरकार को कृषि कानून रद करने के तौर तरीके पर ही चर्चा करनी होगी। वार्ता की पूर्व संध्या पर किसान संगठनों के अपनाए गए इस रख से वार्ता की सफलता पर संदेह के बादल एक बार फिर छाने लगे हैं। बता दें कि वार्ता से पूर्व केंद्रीय कृषिष मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल, वाणिज्य व खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर वार्ता में उठने वाले मुद्दों और उनके समाधान के बारे में चर्चा की। सरकार किसानों की शंकाओं के समाधान को लेकर गंभीर है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किया नए कृषि कानूनों का समर्थन
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है। आइसीएआर ने अपनी वेबसाइट पर संदेश लिखा है कि कृषि विज्ञानी, शोधकर्ता, विद्यार्थी और रिसर्च इंस्टीट्यूट नए कृषि कानूनों के समर्थन में हैं। यह कानून कृषि और किसानों के लिए लाभदायक हैं। गौरतलब है कि आइसीएआर कृषि मंत्रालय के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है। देश में बागवानी, मत्स्य व पशु विज्ञान सहित कृषि के क्षेत्र में समन्वयन, मार्गदर्शन, अनुसंधान प्रबंधन व शिक्षा के लिए आइसीएआर सर्वोच्च निकाय है।
मोदी बोले- आंदोलन के नाम पर इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाना गलत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पांच हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार बहुप्रतीक्षित डेडिकेटेड ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर के 351 किमी लंबाई के एक खंड का उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम आंदोलन के नाम पर सरकारी संपत्तियों खासकर रेलवे, सड़क आदि इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाने वालों पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि यह संपत्ति किसी राजनीतिक दल, सरकार या नेता की नहीं है। यह देश की संपत्ति है। इसमें गरीबों और आम लोगों की जेब का पैसा और पसीना लगा है।
”कृषि क्षेत्र में सुधार तो मैं भी करना चाहता था, लेकिन ‘इस तरह’ नहीं”
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री तथा राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि सरकार किसान आंदोलन को गंभीरता से ले और प्रधानमंत्री इस आंदोलन के लिए विपक्षी दलों पर दोष मढ़ना छोड़ें। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से वार्ता के लिए गठित तीन सदस्यीय मंत्री समूह पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को इस मामले में कृषि तथा किसानों के मुद्दे की ‘गहरी समझ’ रखने वाले नेताओं को आगे करना चाहिए। अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।प्रेट्र के साथ एक साक्षात्कार में पवार ने कहा कि यदि सरकार किसानों से अगले दौर की वार्ता में भी समाधान निकालने में विफल रही तो विपक्ष बुधवार को भविष्य की रणनीति पर विचार करेगा।