Farmers Protest : दो दिन की मंत्रणा के बाद किसान तैयार, 29 को करेंगे केंद्र सरकार से वार्ता

Farmers Protest : दो दिन की मंत्रणा के बाद किसान तैयार, 29 को करेंगे केंद्र सरकार से वार्ता

सोनीपत । एक महीने से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच एक बार फिर बातचीत का रास्ता प्रशस्त हुआ है। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव की ओर से भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव पर शनिवार को किसान संगठनों ने बातचीत के लिए हामी भरी है। किसान नेताओं ने 29 दिसंबर को 11 बजे बैठक का प्रस्ताव भेजते हुए बातचीत के लिए चार प्रमुख मांगें रखी हैं और इसका प्रारूप भी सरकार को भेजा है।

कुंडली में धरनास्थल पर सरकार के प्रस्ताव पर दो दिन की गहरी मंत्रणा के बाद किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने बातचीत के लिए हामी भर दी है। साथ ही, अपनी शर्त भी बता दी है। किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार गेंद हमारे पाले में डालने की कोशिश कर रही है, ताकि लोगों को लगे कि किसान जिद पर अड़े हैं। ऐसे में हमने तय किया है कि बात की जाएगी। बैठक में सभी 40 जत्थेबंदियों के सदस्य जाएंगे।

यह रखा बातचीत का एजेंडा

इस बैठक के एजेंडे में पूर्व की भांति तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद या निरस्त करने का तरीका क्या हो, सभी किसानों व कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अध्यादेश 2020 में ऐसे संशोधन जो दंड के प्रावधानों से किसानों को बाहर रखे, किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव, शामिल हैं।

30 को किसानों का ट्रैक्टर मार्च

किसान नेता डाॅ. दर्शनपाल सिंह ने कहा कि 27 व 28 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह के साहबजादों की शहादत दिवस मनाए जाएंगे। 30 दिसंबर को किसान ट्रैक्टर लेकर मार्च करेंगे। इसमें सिंघु बार्डर से टीकरी और शाहजहांपुर तक किसान मार्च करेंगे। किसानों ने एक जनवरी को नया साल दिल्ली व हरियाणा निवासियों को उनके साथ मनाने का न्योता दिया है। शिवकुमार कक्का ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भाषण गलत दिया। जो पोस्टरों पर फोटो लगा रहे हैं, वह कीटनाशक कंपनियों के कर्मचारी हैं। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों से सरकार घबराने लगी है। जो बातें बैठकों में होती हैं, उसको छुपाकर झूठ बोला और किसान आंदोलन को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।