सरकार से डरकर वापस नहीं आएगा किसान: तोमर
सहारनपुर [24CN] । भारतीय किसान यूनियन के महानगर अध्यक्ष मुकेश तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार दोमुंहे सांप की भूमिका बंद करे तथा किसानों की सुध लेकर उनकी समस्याओं का समाधान कराने का काम करे। भाकियू के महानगर अध्यक्ष मुकेश तोमर आज यहां महानगर कार्यालय पर पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह भाजपा सरकार ने अपने चहेते पूंजीपतियों की जेब भरने के लिए पहले तीन कृषि बिलों को किसान हितैषी बताया। जबकि सच्चाई किसान और जनता भी जान चुकी है। अब किसानों के हित में उर्वरक के दाम पहले बढक़ार 12 सौ से बढ़ाकर 19 सौ रूपए कर दिए। उसके बाद उर्वरक के दाम 24 सौ रूपए कर दिए जिसका उद्देश्य पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना रहा है।
इसे अब किसानों के हित में प्रदर्शित कर 12 सौ करने की घोषणा करके खुद को किसान हितैषी बताने की ड्रामेबाजी की जा रही है। जबकि उसके सापेक्ष केंद्र सरकार ने उद्योगपतियों को 1200 रूपए प्रति उर्वरक कट्टा सब्सिडी देने का काम किया है और दिखावा किसानों के हित में कर रही है। इससे पूर्व पूंजीपतियों को 500 रूपए प्रति कट्टा सब्सिडी दी जा रही थी। श्री तोमर ने मांग की कि भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को जान से मारने की धमकी देने वाले लोगों को अविलम्ब गिरफ्तार किया जाए अन्यथा किसान आंदोलन को धार देने का काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि आंदोलित किसानों की सैंकड़ों की संख्या में शहादत होने पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखों में आंसू नहीं आए लेकिन अब अपनी विफलता को छिपाने के लिए आंसू बहाए जा रहे हैं। उनका कहना था कि जिस तरह कोरोना के नाम पर किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए प्रपंच रचे जा रहे हैं उन्हें किसान और जनता समझ रही है। इससे आंदोलन समाप्त होना तो दूर और तेज होगा क्योंकि केंद्र की भाजपा सरकार ने आपदा को अवसर में बदलते हुए तीन कृषि कानूनों को लॉकडाउन के दौरान अध्यादेश के माध्यम से उद्योगपतियों की जेबें भरने के लिए लाने का काम किया था। भाकियू के सहारनपुर मंडल महासचिव अरूण राणा ने कहा कि केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार आने के बाद से अब तक किसानों सहित जनता को लाइन में लगाने का ही काम किया गया है। चाहे वह नोटबंदी की लाइन है या बुवाई के समय उपलब्ध नहीं होने वाली डीएपी उर्वरक की लाइन हो या फिर कोरोना संक्रमण की टीका लगवाने की लाइन हो। जनता को उसके मुद्दों को न उठाने के लिए ही लाइन में धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसान अभी अनुशासित रूप से आंदोलन कर रहा है। उसके धैर्य की परीक्षा लेना बंद करें और किसानों से वार्ता के लिए आगे आकर उनकी मांगों का समर्थन कर समाधान कराने का काम करें। सरकार हठधर्मिता छोडऩे का काम करे क्योंकि किसान केंद्र सरकार से डरकर घर वापस आने वाला नहीं है।