कुरलकी गांव में कृषक गोष्ठी का आयोजन

कुरलकी गांव में कृषक गोष्ठी का आयोजन
  •  कुरलकी गांव में कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें गन्ना अधिकारियों ने किसानों को गन्ने की विभिन्न प्रजातियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
देवबंद [24CN] : बृहस्पतिवार को आयोजित कृषक गोष्ठी में गन्ना शोध परिषद मुजफ्फरनगर के संयुक्त निदेशक डा. वीरेश सिंह व डा. अवधेश डाहर ने  कृषकों को गन्ने में लगने वाली बामारियों के बारे में विस्तार से बताया तथा कृषकों से बसंतकालीन गन्ना बुवाई में गन्ना प्रजाति ०२३८ के साथ साथ ०११८, ९८०१४, १३२३५ व अन्य प्रगतिशील प्रजातियों के बारे में विस्तृत चर्चा की तथा बताया कि बसंतकालीन गन्ना बुवाई से पूर्व प्रत्येक खेत में ट्राइकोडरमा का प्रयोग अत्यंत जरुरी हो गया है। क्योंकि पूर्वी व मध्य उत्तर प्रदेश में लाल सड़न रोग का प्रकोप भनायक रुप से आ गया है। जिससे गन्ना प्रजाति ०२३८ लगभग समाप्ति की ओर है।
उन्होंने बताया कि गन्ना बुवाई के समय यदि आपके खेत में दीमक या सफेद सूडी नहीं है तो किसी भी कीटनाशक का प्रयोग न करें। ताकि किसान की लागत कम की जा सके तथा उत्पादन में कोई कमी न हों। डा. बीएस तोमर ने सभी किसानों से अनुरोध किया कि गन्ना बुवाई के दौरान प्रत्येक किसान ऊपरी १/३ भाग की पौधशाला अवश्य लगाए ताकि आगामी बुवाई सीजन के लिए किसान के पास अपना स्वस्थ बीज उपलब्ध रहे। इसके साथ साथ बसंतकाल के दौरान अधिकतम बुवाई ट्रेंच विधि से करना किसान के लिए फायदे का सौदा है। जिला गन्ना अधिकारी केएमएम त्रिपाठी ने किसानों को गन्ना विपणन में आने वाली समस्याओं से निजात कैसे मिलेगी तथा भविष्य में गन्ना सर्वे के समय प्रत्येक किसान अपने खेत पर जाकर सर्वे कराएं।
साथ ही किसानों से बताया कि वैज्ञानिकों ने गन्ना बुवाई में जो सावधानियां अपनाने के लिए कहा है उसके साथ साथ यह भी अवश्य अपनाएं कि ट्राइकोडरमा के साथ कोई भी रासायनिक फफूंदनाशक का प्रयोग न किया जाए। जयेष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक अभय कुमार ओझा ने गन्ना विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में विस्तार से समझाया। इसमें सहकारी गन्ना विकास समिति के सचिव प्रेमचंद चैरसिया, सुशील पंवार, मनोज राणा, संजय कुमार, अभिनव सिंह व आसपास गांव के किसान मौजूद रहे।