भारत-यूएस रक्षा साझेदारी का हुआ विस्तार, दोनों देशों के मंत्रियों संग हुई बातचीत
- भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के बीच रक्षा क्षेत्रों में विस्तार को लेकर बातचीत हुई। इस बातचीत में कहा गया है कि प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में भारत की स्थिति के अनुरूप हाल के वर्षों में यूएस-भारत रक्षा साझेदारी का विस्तार हुआ है।
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के बीच रक्षा क्षेत्रों में विस्तार को लेकर बातचीत हुई। इस बातचीत में कहा गया है कि प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में भारत की स्थिति के अनुरूप हाल के वर्षों में यूएस-भारत रक्षा साझेदारी का विस्तार हुआ है। हम रक्षा साझेदारी में इस गति को जारी रखने की उम्मीद करते हैं। साथ ही कहा कि राज्य विभाग सहयोग के आधार पर छूट दी जाएगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अमेरिकी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की थी। इस बैठक में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने में अमेरिकी कांग्रेस के लगातार समर्थन और रचनात्मक भूमिका की सराहना की गई थी।
पीएम ने सीनेटर जॉन कॉर्निन के नेतृत्व में अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल (US Congressional Delegation) से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी सांसदों ने बड़ी आबादी की चुनौतियों के बावजूद, बेहतर कोविड प्रबंधन के लिए भारत की प्रशंसा की थी।
एक बयान में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने बताया, ‘अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सीनेटर जॉन कॉर्निन ने किया था और इसमें सीनेटर माइकल क्रापो, थॉमस ट्यूबरविले और माइकल ली और कांग्रेस के सदस्य टोनी गोंजालेस और जॉन केविन एलिसी शामिल हुए हुए थे। कॉर्निन भारत और भारतीय अमेरिकियों पर सीनेट कॉकस के सह-संस्थापक और सह-अध्यक्ष हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनसे मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने दो रणनीतिक साझेदारों के बीच रणनीतिक हितों के बढ़ते मेलजोल पर बातचीत की। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लक्ष्य से सहयोग को और बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की। पीएमओ ने कहा कि इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिए विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला जैसे समकालीन वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को मजबूत करने की संभावनाओं पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया गया है।
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