जहरीली शराब से तीन की मौत पर आबकारी विभाग मौन, छह दिन में एक कदम नहीं बढ़ी मामले की जांच
गांव डूंगर निवासी सचिन ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव की तैयारी में जुटे थे। 19 जुलाई की रात वह गांव में शराब पार्टी करते हैं। पार्टी में ग्रामीणों को अवैध शराब पिलाई जाती है।
शराब पीने के बाद 20 जुलाई को गांव के आठ लोगों की हालत बिगड़ गई। इसी दिन दोपहर में तेजवीर, शाम के समय सुधीर की मौत हो गई। तीसरी मौत 21 जुलाई को जोगेंद्र की हुई। तेजवीर के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया लेकिन सुधीर और जोगिंद्र के शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं आया है। 100 एमएल लिक्विड मिलना पेट में बताया गया, जिसका बिसरा फोरेंसिक लैब भेजा गया है। डूंगर गांव में तीन लोगों की मौत की जिम्मेदार यह जहरीली शराब है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर जहरीली शराब कहां से आई। आबकारी विभाग सोता रहा और तीन लोगों की जान चली गई।
तीन लोगों की मौत के बाद भी आबकारी विभाग की नींद नहीं टूटी है। यह पहला मामला नहीं है जब जहरीली शराब से जिले में मौत हुई है। पांच साल पहले भावनपुर और परीक्षितगढ़ में जहरीली शराब से पांच लोगों की मौत हुई थी। साल 2019 में उत्तराखंड और सहारनपुर में जहरीली शराब से 50 से ज्यादा लोगों की जान गई। उसके बावजूद शहर से देहात तक अवैध शराब का धंधा चलता रहा।
मेरठ में थे आबकारी आयुक्त
आबकारी विभाग कितना अलर्ट है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शराब से तीन मौत होने के दौरान आबकारी आयुक्त प्रयागराज पी गुरु प्रसाद मेरठ में ही थे। उन्हें शासन ने मेरठ का नोडल अधिकारी बनाया हुआ है। आबकारी आयुक्त के जिले में रहते हुए भी आबकारी विभाग यह पता नहीं लगा सकता कि मौत कैसे हुई है। इससे विभाग सवालों के घेरे में है।
रोहटा पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी सचिन, उसके पिता हरफूल, सुखपाल व उसके बेटे अनुज को हत्या की धारा में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पीड़ित परिजनों ने शराब में जहरीला पदार्थ मिलाकर देने का आरोप लगाया था, जिसके चलते पुलिस ने हत्या की धारा लगाई थी।
डूंगर गांव में तीन लोगों की मौत की बात गलत है। तेजवीर की मौत बीमारी से हुई थी, जबकि अन्य दो लोगों की मौत शराब से नहीं हुई। एफआईआर में लिखा है कि शराब में जहर दिया गया था। – आलोक कुमार, जिला आबकारी अधिकारी