नई दिल्ली। प्रश्न: प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक, 2022 के हो रहे विरोध पर सरकार का क्या कहना है? उत्तर: जिस आधार पर विरोध किया जा रहा है वो आधारहीन है। दो-तीन राज्यों को छोड़ दिया जाए तो हमने प्रत्येक राज्य सरकार से इस पर संयुक्त तौर पर या अलग-अलग विमर्श किया है। सभी संबंधित मंत्रालयों से बात की है। उपभोक्ता फोरम से बात हुई है। निजीकरण को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है। प्रस्तावित विधेयक में बिजली क्षेत्र का निजीकरण करने संबंधी बात ही नहीं है।

प्रश्न: यह कहा जा रहा है कि मुफ्त बिजली या यूं कहें कि सब्सिडी देना बंद हो जाएगा। उत्तर: यह भी विधेयक में कहीं नहीं लिखा है। प्रस्तावित विधेयक की धारा 65 में साफ लिखा है कि राज्य सरकारें अपनी मर्जी से बिजली की सब्सिडी देती रहेंगी। कुछ लोग कह रहे हैं कि किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दी जा सकेगी। यह भी आधारहीन है।

न्यूनतम टैरिफ को लेकर चल रही खबरों में भी कोई सच्चाई नहीं है। टैरिफ तय करना राज्यों के बिजली नियामक आयोगों का काम है। यह विधेयक पूरे बिजली वितरण क्षेत्र में ज्यादा प्रतिस्पद्र्धा लाने का काम करेगा। एक और झूठ फैलाया जा रहा है कि विधेयक के कानून बनने के बाद हर तरह की बिजली सब्सिडी सिर्फ बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये आएगी। इस तरह का प्रविधान पहले से ही है।

प्रश्न: एक विरोध यह है कि जिस ढांचे को सरकारी डिस्काम (बिजली वितरण कंपनियों) ने बनाया है उसका इस्तेमाल मुफ्त में निजी कंपनियों को करने का अधिकार मिलेगा। उत्तर: आपको याद होगा, जब पहली बार निजी क्षेत्र के लिए दूरसंचार क्षेत्र को खोला गया तो पहले की कंपनियों ने सरकार की तरफ से स्थापित इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया था। इसके बदले सरकारी कंपनियों को उन्होंने फीस अदा की थी।

इस तरह की व्यवस्था सड़क, एयरपोर्ट जैसे क्षेत्र में भी है। प्रस्तावित विधेयक की धारा 62 में यह प्रस्तावित है कि पहले से मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करने पर नई डिस्काम को शुल्क देना होगा। उनकी तरफ से तय बिजली की दर में इस अतिरिक्त शुल्क को जोड़ा जाएगा।

प्रश्न: ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए इसमें क्या प्रविधान किए गए हैं? उत्तर: कई प्रविधान हैं। पहला, धारा 43 में प्रस्तावित है कि नई डिस्काम को भी हर तरह के ग्राहकों को कनेक्शन देना होगा। दूसरा, ग्राहकों के हितों की बेहतर सुरक्षा के लिए हम राज्यों के नियामक आयोग को मजबूत कर रहे हैं। तीसरा, धारा 65(ए) के तहत हमने बिजली क्षेत्र में क्रास सब्सिडी की व्यवस्था में बदलाव करने की बात कही है। इससे नई कंपनियों के लिए अधिक वसूले गए बिजली शुल्क का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में करने की बाध्यता होगी, जहां बिजली की पहुंच व खपत कम है।