ब्लाक प्रमुख चुनावों की अधिसूचना जारी न होने के बावजूद भी तेज हुई चुनाव की सरगर्मियां
सहारनपुर [24CN] । त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सम्पन्न होने के बाद जिले के सभी 11 विकास खंडों में ब्लाक प्रमुख बनने का सपना संजोने वाले उम्मीदवारों ने अपने-अपने विकास खंडों में नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्यों से सम्पर्क साधना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी तक शासन द्वारा ब्लाक प्रमुख के चुनाव की तिथि घोषित नहीं की गई है। इसके बावजूद सभी विकास खंडों में ब्लाक प्रमुख चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
गौरतलब है कि 15 अप्रैल को सम्पन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की विगत 2 मई को हुई मतगणना में जनपद के सभी 11 विकास ख्ंाडों के क्षेत्र पंचायत सदस्यों के परिणाम की घोषणा कर दी गई थी। हालांकि अभी तक शासन द्वारा कोरोना महामारी के चलते न तो नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को शपथ दिलाई गई है और न ही अभी जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख पदों के चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की गई है। इसके बावजूद जनपद के सभी 11 विकास खंडों में ब्लाक प्रमुख बनने का सपना संजोए विभिन्न राजनीतिक दलों के भावी उम्मीदवारों ने गांव दर गांव जाकर नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्यों से सम्पर्क साधना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी तक अधिकांश नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं तथा सभी उम्मीदवारों को अपना समर्थन देने का आश्वासन देकर चुनाव की हवा भांपने का काम कर रहे हैं। हालांकि अनेक नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने अपनी जीत का प्रमाण पत्र अपनी पसंद के उम्मीदवारों को भी सौंप दिया है।
उधर अभी तक शासन द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख पदों के चुनाव कार्यक्रम व तिथि घोषित न करने के चलते उम्मीदवारों के समक्ष असमंजस की स्थिति बनी हुई है क्योंकि ब्लाक प्रमुख का चुनाव महंगा माना जाता है तथा ब्लाक प्रमुख के चुनाव में साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाकर ही विजयश्री का वरण किया जाता है। उधर अभी तक अनेक क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनाव अधिसूचना की बाट जोह रहे हैं क्योंकि जैसे-जैसे चुनाव अधिसूचना के बाद ब्लाक प्रमुख के मतदान की तिथि नजदीक आएगी।
वैसे-वैसे नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्यों की मांग व कीमत भी बढ़ती जाएगी। उधर जहां भाजपा व बसपा अपने बलबूते पर जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुखों का चुनाव लडऩे की रणनीति बना रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के अलावा छोटे-छोटे दल तीसरे मोर्चे के रूप में चुनाव मैदान में उतरने की उधेड़बुन में जुटे हैं ताकि भाजपा व बसपा को हराकर तीसरे मोर्चे के प्रत्याशियों को चुनाव जिताया जा सके। अब देखना यह है कि तीसरा मोर्चा जनपद में की राजनीति में कोई गुल खिला पाता है या नहीं?