अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ी, दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.7%

हाइलाइट्स
- अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए किए जा रहे उपायों का असर दिखा
- देश की जीडीपी विकास दर बढ़कर 4.7 फीसदी पर
- इससे पहले दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.5 फीसदी रही
- जीडीपी का यह साढ़े छह सालों का निचला स्तर
नई दिल्ली
अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले कुछ महीनों में किए उपायों का असर सामने आ रहा है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी विकास दर मामूली बढ़कर 4.7% रही है। इससे पहले, दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर महज 4.5% रही थी, जो साढ़े छह सालों का निचला स्तर था। हालांकि कई वित्तीय एजेंसियों ने तीसरी तिमाही में विकास दर घटकर 4% रहने का अनुमान जताया था।
विकास दर में बढ़ोतरी से यह संकेत मिलता है कि देश में जो सुस्ती थी वह खत्म हो चली है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण वैश्विक विकास दर में कमी का खतरा अभी भी मंडरा रहा है।
दूसरी तिमाही में ग्रोथ रेट 4.5%
मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई थी। पिछली 26 तिमाहियों यानी साढ़े 6 साल में यह भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे धीमी विकास दर है। एक साल पहले यह 7 प्रतिशत थी, जबकि पिछली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी।
नोमूरा का अनुमान
तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) को लेकर जापान की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा का मानना था कि विकास की रफ्तार और धीमी होगी और यह घटकर 4.3 फीसदी पर पहुंच सकती है। नोमुरा का मानना है कि वर्ष 2020 की पहली तिमाही (वित्त वर्ष 2019-20 की आखिरी तिमाही) में जीडीपी ग्रोथ रेट में मामूली सुधार होगा और यह 4.7 प्रतिशत रह सकता है।
लोन डिमांड में तेजी नहीं, लेकिन महंगाई आसमान पर
सुस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक साल में रिजर्व बैंक ने रीपो रेट में 1.35 फीसदी की कटौती की। इसके बावजूद लोन की डिमांड में उतनी तेजी नहीं आई, लेकिन महंगाई दर 4 फीसदी के लक्ष्य से करीब दोगुनी पहुंच चुकी है। इंडस्ट्रिलय प्रॉडक्शन में भी गिरावट है। इस स्थिति को लेकर सरकार का कहना है कि जीएसटी जैसे फैसलों का असर आने वाले दिनों में दिखाई देगा।
वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार की आमदनी: 3.17 लाख करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार की अनुमानित आमदनी: 3.39 लाख करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2019-20 में नवंबर तक कुल राजस्व संग्रह: 2.14 लाख करोड़ रुपये