दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है: पंडित संदीप शर्मा  

दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है: पंडित संदीप शर्मा  
  • भाई के कानो पर नौरते रखती एक बहन  

देवबंद [24CN]: दशहरा (विजयदशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। मन्दिर पुजारी पंडित संदीप शर्मा ने बताया कि अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था और इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाईयों के कानो पर नवरात्र के दौरान बोये गये ज्यौं से उगे नौरते रखकर उनकी सुख समृद्धि की कामना करती है।

उन्होने बताया कि इस दिन नया कार्य प्रारम्भ करने के साथ-साथ शस्त्र-पूजा भी की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है तथा शस्त्र पूजन की तिथि है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।