चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के तीखे तेवर से राज्‍य की चरणजीत सिंह चन्‍नी सरकार और कांग्रेस में खलबली है। सिद्धूू जिस तरह विपक्षी नेता की तरह अपनी पार्टी की ही सरकार पर खुलेआम हमले कर रहे हैं, उससे कांग्रे्स के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। सिद्धू के एडवोकेट जनरल और कार्यकारी डीजीपी को लेकर हमलों कारण कांग्रेस व चन्‍नी सरकार के कस-बल ढीले पड़ने लगे है।

सिद्धू ने पहले मीडिया से बातचीत में चन्‍नी सरकार के साथ-साथ कांग्रेस हाईकमान पर हमला बोला। इसके बाद शाम को मुख्‍यमंत्री चरणजीत सिंह चन्‍नी के साथ उनकी बैठक हुई। बताया जाता है कि सिद्धू ने इस बैठक में भी पहले घुड़की दी और बाद में चन्‍नी के साथ सहमति बनने की खबर भी है। वैसे, यह भी चर्चा रही है कि सिद्धू एक बार बैठक के बीच में उठ गए थे, लेकिन बाद में मान गए। वैसे इसकी पुष्टि नहीं हुई।

सुबह सिद्धू ने पार्टी हाईकमान और पंजाब सरकार को स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि या तो समझौतावादी अफसरों को चुन ले या फिर कांग्रेस के प्रदेश प्रधान को। इस रुख के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पार्टी के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, परगट सिंह और नवजोत सिद्धू की एक बैठक राज भवन के गेस्ट हाउस में हुई। इस बैठक के उपरांत मुख्यमंत्री ने बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक को मंगलवार को ही बुला लिया। माना जा रहा है कि कैबिनेट एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल के इस्तीफे पर फैसला ले सकती है।

सुबह सिद्धू बोले थे, समझौतावादी अफसरों को चुन लो या प्रदेश कांग्रेस प्रधान, शाम को चन्‍नी संग बैठक

सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के एक घंटे बाद सिद्धू ने पंजाब भवन में पत्रकारों से बातचीत की। उन्‍होंने कहा, ‘हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल 21 को बहबलकलां गोलीकांड को लेकर बनी एसआइटी की रिपोर्ट को खारिज कर नई एसआइटी बनाने और छह माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए कहा था। 7 मई को नई एसआइटी बनाई गई थी। छह माह एक दिन का समय बीत गया है। एसआइटी की रिपोर्ट कहां है?’

एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल की ओर इशारा करते हुुए सिद्धू ने कहा कि उन्होंने पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को ब्लैंकेट बेल दिलवाई थी। लेकिन,  पंजाब सरकार ने अभी तक ब्लैंकेट बेल को तोड़ने के लिए हाईकोर्ट में कोई भी एसआईपी दायर नहीं की। यह सरकार की नैतिकता पर सवाल है। उन्होंने कार्यकारी डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को लपेटते हुए कहा था, एक ने बादलों को क्लीनचिट दी और दूसरे ने ब्लैंकेट बेल दिलवाई।

उन्होंने चन्‍नी सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो सरकार के नए सरमायेदार व पहरेदार हैं उन्होंने सैनी की ब्लैंकेट बेल को तोड़ने के लिए क्या किया। उन्होंने कहा, मैं छह माह तक चुप रहा, क्योंकि हाईकोर्ट ने छह माह में रिपोर्ट देने के लिए कहा था। वह समय बीत चुका है, इसलिए मैंने सवाल उठाया है। तीन माह पहले (कैप्टन सरकार के समय) इन्हीं मुद्दों का विरोध हुआ था। तब 40 विधायकों ने कहा था कि मुझे भरोसा नहीं कि मुख्यमंत्री (कैप्टन) के रहते हुए यह मुद्दे हल हो सकते है। अब क्या हो गया।

सिद्धू ने कहा कि ड्रग्स की रिपोर्ट को क्यों नहीं सार्वजनिक किया जा रहा है। हम क्या छुपा रहे है, क्योंकि पंजाब में जो चुनाव होने वाले है। उसमें या तो डैमेज कंट्रोल होगा या फिर डैमेज कभी भी कंट्रोल नहीं हो सकेगा। पंजाब सरकार का नाम लिए बगैर सिद्धू ने कहा कि इंसाफ देना था या ढाल बनकर खड़े होना था। जिन्होंने अपने स्टैंड बदले है, उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए।

सिद्धू के रुख को देखते हुए कांग्रेस के खलबली मच गई। इसके बाद राज भवन के गैस्ट हाउस में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, हरीश चौधरी, सिद्धू और परगट सिंह के बीच बैठक हुई। जानकारी के अनुसार करीब पौने घंटे तक चली इस बैठक में चन्नी और सिद्धू के बीच सहमति बन गई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री चन्‍नी ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक बुला ली, जोकि पहले बुधवार को प्रस्तावित थी।

माना जा रहा है कि कल होने वाली कैबिनेट बैठक में एजी को लेकर फैसला लिया जा सकता है। क्योंकि सिद्धू इस बात पर अड़े हुए है कि एपीएस देयोल को एजी के पद से हटाया जाए। हालांकि यह दूसरा मौका है जब दोनों नेताओं के बीच सहमति बनी हो लेकिन मुख्यमंत्री के रुख के कारण देयोल को एजी पद से हटाया नहीं गया है।