“सरकार के मामलों में दखल नहीं देता, लेकिन मणिपुर में…”, जानें इम्फाल में क्या बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत
इम्फाल: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार को मणिपुर की राजधानी इम्फाल पहुंचे। वह तीन दिन तक इम्फाल में रहेंगे। मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह उनका पहला दौरा है। यहां एक सभा के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि मणिपुर में सरकार अवश्य होनी चाहिए और सरकार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। भागवत ने यहां एक व्यक्ति के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘सरकार और पार्टियों के मामलों में मैं बहुत हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन मणिपुर में सरकार अवश्य होनी चाहिए और मेरी जानकारी के अनुसार, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं।’’
‘आंतरिक शांति आने में समय लगेगा’
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘‘विनाश होने में दो मिनट का समय लगता है, लेकिन निर्माण में सालों लगते हैं और इन कठिन परिस्थितियों में भी, मणिपुर के लोगों को अलग-अलग आधारों पर बिखरने से बचाने के लिए निरंतर प्रयास किये गये। हम निश्चित रूप से सभी को साथ लेकर चलेंगे। किसी की पहचान आदि को नुकसान पहुंचाए बिना, भौतिक मामलों में शांति जल्द स्थापित हो जायेगी, लेकिन आंतरिक शांति आने में कुछ समय लगेगा। हमें इसका ज्ञान है।’’
‘किसी संगठन से नहीं की जा सकती RSS की तुलना’
इससे पहले, इम्फाल में एक विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘आरएसएस पूरे देश में दैनिक चर्चा का विषय बना हुआ है और अकसर पूर्वाग्रह और दुष्प्रचार सामने आता है।’’ उन्होंने संघ के कार्य को ‘‘अतुलनीय’’ बताते हुए कहा, ‘‘आरएसएस की तुलना किसी संगठन से नहीं की जा सकती, जैसे समुद्र, आकाश और महासागर की कोई तुलना नहीं होती।’’ मोहन भागवत ने कहा, “संघ को समझने के लिए शाखा में जाना आवश्यक है। आरएसएस का उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज, यहां तक कि जो विरोध करते हैं, उनको भी संगठित करना है, न कि समाज में कोई अलग शक्ति-केंद्र खड़ा करना।”
‘समाज की जिम्मेदारी अनिवार्य’
उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू शब्द किसी धार्मिक पहचान का नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सभ्यतागत विशेषण का द्योतक है। एक सबल राष्ट्र के लिए गुणवत्ता और एकता अनिवार्य है। राष्ट्र की प्रगति केवल नेताओं पर नहीं, बल्कि संगठित समाज पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि सत्य, करुणा, पवित्रता और तप – ये धर्म के मूल तत्व हैं, और यही हमारी हिंदू सभ्यता के प्राण हैं। उन्होंने कहा कि जनता की जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण कारक है। सब कुछ सरकार से अपेक्षित नहीं किया जा सकता। समाज की जिम्मेदारी अनिवार्य है। स्वावलंबी भारत के लिए हमें समाज रूप में भी आत्मनिर्भर होना होगा।
मणिपुर की सांस्कृतिक परंपराओं की सराहना
इसके अलावा मोहन भागवत ने मणिपुर की मजबूत सांस्कृतिक परंपराओं की भी सराहना की, जिसमें विशेष मौकों पर पारंपरिक पोशाक पहनना और स्थानीय भाषाओं का उपयोग शामिल है। उन्होंने इन्हें और मजबूत बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि स्थिरता बहाल करने के लिए सामुदायिक व सामाजिक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विनाश में कुछ ही मिनट लगते हैं, लेकिन निर्माण में वर्षों का समय लगता है, खासकर जब इसे समावेशी रूप से और किसी को नुकसान पहुंचाए बिना किया जाए। शांति कायम करने में धैर्य, सामूहिक प्रयास और सामाजिक अनुशासन की आवश्यकता होती है।’’
