बकरीद पर करे सरकारी गाइडलाइन का पालन, प्रतिबंधित जानवरों की न दे कुरबानी: अरशद मदनी

देवबंद। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व दारुल उलूम की मजलिस-ए-शूरा के सदस्य मौलाना अरशद मदनी ने ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर सरकारी गाइडलाइन का पालन करने और प्रतिबंधित जानवरों की कुरबानी न करने की अपील की है।
मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि इस्लाम में कुरबानी का कोई विकल्प नहीं है, यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसकी अदायगी हर सक्षम मुसलमान पर वाजिब है। इसलिए जिस व्यक्ति पर कुरबानी वाजिब है उसे हर हाल में यह फर्ज अदा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान हालात के मद्देनजर यह जरुरी है कि मुसलमान एहतियात का रवैया अपनाएं। प्रचार-प्रसार और खासतौर पर सोशल मीडिया पर कुरबानी के जानवरों की तस्वीरें और वीडियो साझा न करें।
कुरबानी करते समय सरकारी दिशा निर्देशों का सख्ती के साथ पालन करें और प्रतिबंधित जानवरों (संरक्षित पशु) की कुरबानी करने से बचें। क्योंकि धर्म में इसके बदले काले जानवर की क़ुरबानी भी जायज है। मौलाना मदनी ने कहा कि अगर किसी जगह शरारती तत्व काले जानवर की क़ुरबानी से भी रोकते हैं तो समझदार और प्रभावशाली लोगों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को विश्वास में लेकर क़ुरबानी की जाए। अगर फिर भी इस धार्मिक फर्ज की अदायगी का कोई रास्ता न निकले तो किसी ऐसे इलाके में जाकर क़ुरबानी कर दी जाए जहां कोई परेशानी न हो। साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। अवशेष इधर उधर न फेंके बल्कि उन्हें इस तरह से दफन किया जाए कि उससे बदबू न निकले। कहा कि इस्लाम आपसी सौहार्द और प्यार और मोहब्बत का पैगाम देता है।