वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से वादों की सुनवाई होगी- जिला एवं सत्र न्यायधीश

वीडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से वादों की सुनवाई होगी- जिला एवं सत्र न्यायधीश

सहारनपुर [24CN]। जिला सत्र न्यायधीश श्री अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में वीडियों काफ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायायिक कार्य के लिए अधिकारियों को नामित किया है। न्यायिक कार्य की सुनवाई करने के लिए रोटेशन के आधार पर अधिकारियों की तैनाती की जायेंगी। न्यायिक कार्य में सहायोग करने के लिए कर्मचारियों की तैनाती निर्धारित मानकों के अनुरूप रोटेशन के आधार पर होगी।

श्री अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने आज यहां जारी आदेश में यह बात कही। उन्होंने कहा कि 17 जून को जमानतों की सुनवाई स्लाॅट वन पर जिला एवं सत्र न्यायधीश श्री अश्विनी कुमार त्रिपाठी सुबह 10.30 बजे से पूर्वान्ह 12.30 बजे तक सुनवाई करेंगे। स्लाॅट दो पर पूर्वान्ह 12.35 से 2.30 बजे तक अपर जिला न्यायाधीश श्री सुभाष चन्द्रा एडीजे कोर्ट नम्बर 4 में सुनवाई करेंगे। फौजदारी के मामले ए.सी.जे.एम प्रथम श्री राजीव शरन, सिविल जज (सी.डि.) श्री अमित कुमार तथा जे.एम. प्रथम श्री रजत शर्मा सुबह 10.30 बजे से सुनवाई करेंगे। दीवानी प्रकरणों को स्लाॅट वन पर जे.एस.सी.सी. श्री भूपेन्द्र कुमार स्लाॅट दो पर सिविल जज (जू.डि.) हवाली श्री रोहित पुरी सुनेंगे। इसी प्रकार देवबंद में एसीजे (जू.डि.)/ जे.एम. सुनवाई करेंगे।

फैमली कोर्ट में ए.सी.जे.(जू.डि.)/एफटीसी (क्राइम अगेंस्ड वूमेन) सुश्री जीनत परवीन सुनवाई करेंगी।

इसी प्रकार 18 जून को स्लाॅट वन पर अपर जिला न्यायधीश श्री ललित नारायण झा तथा स्लाॅट दो पर स्पेशल जज पाॅस्कों एक्ट श्री वी.के.डूंगरकोटी सुनवाई करेंगे। मजिस्ट्रीयल कोर्ट में सी.जे.एम श्री अनिल कुमार नवम्, ए.सी.जे.एम. द्वितीय श्री रंजन कुमार गोंड तथा जे.एम. द्वितीय कुमार आशीश सुनवाई करेंगे। सिविल जज कोर्ट में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) श्री शीशपाल सिंह और सिविल जज (जूनियर डिवीजन)सिटी सुश्री गीतिका गर्ग सुनवाई करेगी। फैमली कोर्ट में ए.सी.जे. जूनियर डिवीजन) सुश्री हुमा सुनवाई करेंगी। देवबंद स्थित न्यायालय में ए.सी.जे.(सीनियर डिवीजन)/ ए.सी.जे.एम. श्री लीलू सुनवाई करेंगे। शनिवार और रविवार को अवकाश रहेंगा।

न्यायालय में केवल लंबित और ताजा जमानत, रिहाई, धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान की रिकॉर्डिंग, रिमांड, विविध के निपटान जैसे जरूरी मामलों को ही सुना जायेंगा। तत्काल आपराधिक आवेदन, छोटे अपराधों के मामलों का निपटान, समय-समय पर जारी उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के निर्देश और नागरिक प्रकृति के तत्काल मामले (जैसे निषेधाज्ञा मामले और नागरिक प्रकृति के अन्य आवेदन)। अन्य दीवानी मामलों (जैसे नए वादों आदि की संस्था) की तात्कालिकता स्थानीय स्तर पर तय की जा सकती है और उपयुक्त पाए जाने पर सुनवाई के लिए निर्देशित किया जा सकता है।