डीआईओएस साहब, बाबू को पैसे दिए थे फिर भी नहीं बनाया सेंटर, परीक्षा केंद्र को लेकर सामने आया खेल

यूपी बोर्ड का परीक्षा केंद्र बनाने को लेकर एक ऑडियो वायरल हुआ है, जिससे हड़कंप मच गया है। ऑडियो में डीआईओएस और एक वित्तविहीन इंटर कॉलेज के मैनेजर के बीच करीब 10 मिनट की बातचीत है, जिसमें एक बाबू द्वारा पैसा लेने की बात कही गई है। इतना ही नहीं, प्रदेश सरकार के एक मंत्री, सांसद और एक विधायक का नाम भी ऑडियो में लिया गया है।

ऑडियो में बड़गांव के एक वित्तविहीन इंटर कॉलेज के मैनेजर डीआईओएस डा. अरुण कुमार दूबे से बात कर रहे हैं। मैनेजर इस बात पर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं कि प्रदेश सरकार के एक मंत्री, सांसद और एक विधायक के कहने के बाद भी उनके कॉलेज को यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए सेंटर नहीं बनाया गया है।

डीआईओएस उन्हें समझा रहे हैं कि 16 अक्तूबर 2019 के शासनादेश के अनुसार पहले राजकीय, फिर एडेड और उसके बाद वित्तविहीन स्कूल को सेंटर बनाने का प्रावधान है। मगर चूंकि क्षेत्र में लुकादड़ी के कॉलेज को सेंटर बनाया जा चुका है, ऐसे में आपके कॉलेज को सेंटर नहीं बनाया जा सकता था। इसके बाद मैनेजर टपरी और तीतरो में कुछ कॉलेजों को पैसे लेकर सेंटर बनाए जाने की बात कहता है।

डीआईओएस कहते हैं कि जिले में 321 माध्यमिक विद्यालय हैं, जिन्होंने सेंटर के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। शासन स्तर से ही सभी सेंटर तय होकर आए हैं। मैनेजर कहते हैं कि हमने आपके कहने पर एप्लीकेशन दी थी। एमएलए और एमपी से फोन कराए, मगर बात नहीं मानी गई है।

डीआईओएस कार्यालय के एक बाबू ने सेंटर बनाने के नाम पर 50 हजार रुपये और मिठाई के नाम पर एक हजार रुपये और लिए थे। मैं पार्टी का आदमी हूं, मेरी ही सुनवाई नहीं हो रही तो आम आदमी की क्या सुनी जाती होगी। पैसा देकर भी काम नहीं हो रहा है। मैं सोमवार को विधायक को साथ लेकर आपके कार्यालय पहुंचकर हंगामा करूंगा।

डीआईओएस कहते हैं कि यदि हमने पैसा देने को कहा हो तो बताओ। किसी बाबू ने पैसा लिया है तो उसके साथ तुम जो मर्जी करो, हम बीच में नहीं आएंगे। पैसा लिए जाने की बात लिखकर दोगे, तो जांच कराकर निलंबित करने की संस्तुति भी शासन से करेंगे। ऑडियो वायरल होने के बाद से विभाग में हड़कंप की स्थिति है।

सेंटर बनाने के नाम पर किसी बाबू द्वारा पैसा लिए जाने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। पहली बात तो सेंटर बाबू नहीं बनाता, शासन के द्वारा बनाया जाता है। बाकायदा डीएम की अध्यक्षता में प्रक्रिया अपनाई गई है। यदि कोई व्यक्ति किसी बाबू के खिलाफ शिकायत दर्ज कराता है तो जांच कराकर दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। – डा. अरुण कुमार दूबे, डीआईओएस

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