क्या स्वामी विवेकानंद ने ईसा मसीह को पूजने के लिए कहा और उन्हें भगवान माना?

क्या स्वामी विवेकानंद ने ईसा मसीह को पूजने के लिए कहा और उन्हें भगवान माना?

स्वामी विवेकानंद कहते थे, देवता ही देवता की उपासना कर सकते हैं. इंसानों के लिए ऐसा कर पाना संभव ही नहीं है. ईश्वर के प्रचलित रूप से ऊपर किसी की आराधना करना इंसान के लिए विपत्तिकारी हो सकता है.

New Delhi : स्वामी विवेकानंद को कई तरह से जाना गया. युवाओं को प्रेरित करने वाली शख्सियत रूप में. एक आध्याात्म गुरु के तौर पर. और एक मार्गदर्शक की रूप में. ईश्वर और ज्ञान की प्राप्ति के लिए उन्होंने सांसारिक मोहमाया त्याग दी. गुरु रामकृष्ण परमहंस का शिष्य बनने के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई. आध्यात्म से जुड़े संदेश देने के साथ स्वामी विवेकानंद ने ईसा मसीह को लेकर कई बातें कहीं.

ईसा मसीह धरती पर जन्मे एक भगवान

वो ईसा मसीह को भगवान मानते थे यानी मनुष्य के शरीर में धरती पर पैदा हुआ एक भगवान. उनका कहना था, ईश्वर अपने अलग-अलग रूपों में जन्म लेते हैं. तुम केवल उनके रूपों की पूजा कर सकते हैं. ईश्वर के निर्गुण भाव की पूजा करने का कोई मतलब नहीं है. इंसान के शरीर में जन्मे ईसा मसीह की पूजा हमें भगवान मानकर ही करनी होगी. ईश्वर के इस रूप से बड़ी पूजा कोई नहीं कर सकता.

देवता की उपासना मनुष्य के लिए संभव नहीं

वह कहते थे, देवता ही देवता की उपासना कर सकते हैं. इंसानों के लिए ऐसा कर पाना संभव ही नहीं है. ईश्वर के प्रचलित रूप से ऊपर किसी की आराधना करना इंसान के लिए विपत्तिकारी हो सकता है. अगर इंसान को मुक्ति चाहिए तो उसे ईसा मसीह के करीब होने की कोशिश करनी होगी.

अगर किसी को लगता है ईसा मसीह मात्र एक इंसान थे तो उनकी आराधना मत करो, लेकिन जब यह बात समझ में आ जाए तो कि वो ईश्वर के रूप में धरती पर जन्मे थे तो उनकी पूजा करो.

ईसा मसीह और बुद्ध में ईश्वर दिखे

उनका मानना था कि जिसने अपने पुत्र को देखा है उसने ही पिता के दर्शन किए. बिना बेटे को देखे कोई भी इंसान पिता के दर्शन को नहीं समझ सकता. अगर आध्यात्मिक जीवन में इंसान को कुछ पाना है तो भगवान के रूप में ईसा मसीह से विश्वास के साथ जुड़ा रहना होगा.

दार्शनिक रूप से देखें तो बुद्ध और ईसा मसीह कोई इंसान नहीं थे, लेकिन उनमें ईश्वर को देखा. कुरान को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि मोहम्मद साहब ने कई बार कहा है कि ईसा मसीह कभी भी सूली पर नहीं चढ़े. उन्हें कोई भी सूली पर नहीं चढ़ा सकता.

उन्होंने कहा, ईश्वर, जगत और जीव, हमने एक में तीनों को देखा है. यह अहसास भी किया है कि जिस तरह से यह शरीर जीवात्मा को ओढ़ता है. ठीक उसी तरह जीवात्मा परमात्मा का शरीर है. ईसा मसीह में ही भगवान का प्रकाश है. वह पहले से हर प्राणी में ईश्वर के रूप में थे. लेकिन उनके आने से ही हम उनके संबंध में सचेतन हो सके हैं कि सही मायने में यही ईश्वर हैं.