नई दिल्ली। श्रीलंका में आम लोगों के भारी विरोध के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने देश छोड़ दिया है। गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के भागकर मालदीव पहुंच गए हैं। इस बीच भारत ने उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा है कि गोटाबाया राजपक्षे को श्रीलंका से भागने में भारतीय उच्चायोग ने मदद की है। श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा है कि राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागने में हमारी मदद की खबरें आधारहीन और कल्पनीय हैं। गोटाबाया राजपक्षे राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने से कुछ घंटों पहले ही देश छोड़कर भाग गए हैं।
श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया- भारतीय उच्चायोग आधारहीन और काल्पनिक मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज करता है कि भारत ने श्रीलंका से गोटबाया राजपक्षे की देश छोड़कर भागने की यात्रा को आसान बनाया। हम यह एक बार फिर दोहराया चाहते हैं कि भारत, श्रीलंका के लोगों की मदद के लिए हमेशा काम करता रहेगा, क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं।
समाचार एजेंसी एएफपी ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे मालदीव की राजधानी माले शहर पहुंचे। देश के रक्षा मंत्रालय की इजाजत के बाद गोटाबाया राजपक्षे अपनी पत्नी और दो सुरक्षागार्ड के साथ मालदीव पहुंच गए हैं। गोटाबाया राजपक्षे के विमान ने मालदीव के वेलाना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बुधवार को सुबह लैंड किया। इसकी बात की पुष्टि प्रधानमंत्री कार्यालय से भी हुई है।
बता दें कि श्रीलंका में जारी आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के परिवार के सदस्य भी देश छोड़ने की फिराक में पहले से हैं। श्रीलंका की मीडिया के मुताबिक, गोटाबाया राजपक्षे के भाई बासिल राजपक्षे 12 जुलाई को कटूनायके एयरपोर्ट पर स्थित सिल्क रूट डिपार्चर टर्मिनल से देश छोड़कर भागने की फिराक में थे। इस बीच आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया, जिससे वह भाग नहीं पाए।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि वह 20 जुलाई को संसद के नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। वहीं, श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया ने सोमवार को सर्वसम्मति से साजिथ प्रेमदासा को अंतरिम राष्ट्रपति पद के लिए नामित करने का फैसला किया है।