महावीर जयंती पर धर्म मंथन

- सहारनपुर में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते पदमश्री स्वामी भारत भूषण।
सहारनपुर। महावीर जयंती पर मोक्षायतन योग संस्थान में आयोजित धर्म मंथन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए योग गुरू पदमश्री स्वामी भारत भूषण ने कहा कि भगवान महावीर, बुद्ध, वाल्मीकि, कबीर, रैदास नानक देव, गुरु गोविंद सिंह और महर्षि दयानंद सरीखी विभूतियां हमारी पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखने और सब का भला सोचने वाली विराट हिन्दू संस्कृति की साझा विरासत हैं। ये महान आत्माएं हिंदुत्व के आध्यात्मिक संदेश को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अलग अलग समय में अवतरित हुई इन्होंने कोई अलग धर्म नहीं चलाया बल्कि धर्म के मूल को अखंड बनाए रखने के लिए अनेक पंथ यानी रास्ते सुझाए। योग गुरु ने कहा कि इन्हें अलग धर्म के प्रवर्तक के रूप में देखना अनजाने में धर्म से भटकना और समाज को कमजोर करना है जो इन महान आत्माओं को पीड़ा देने वाला होगा क्योंकि कोई भी संत अपने अनुयायियों को भटकता देख कर कैसे प्रसन्न हो सकता है।
योगी स्वामी भारत भूषण ने कहा कि मैने भगवान महावीर को ऐसे महान योगी के रूप में देखा है जिन्होंने योगदर्शन की बुनियाद अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह आदि पांच यम को जैन दर्शन का आधार बनाया, जिस दर्शन ने अपने अनुयायियों के लिए पांच महाव्रतों की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि हम अपने इन महान पूर्वजों के जीवन और उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने के बजाय उनको पूजने, सराहने या फिर उनके नाम पर बहस और विवाद करने में ही उम्र बिता देते हैं। योग गुरु बोले कि जैन मत का अनुसरण करने वाला हर व्यक्ति निसंदेह योगी है और परम तत्व तक पहुंचकर स्वयं परमात्म हो जाने की सामर्थ्य रखता है, बिंदु सिंधु का ही लघु रूप है।
उन्होंने कहा कि इन महापुरुषों के अवतरण दिवस हम सांसारिकता में फंसे लोगों के लिए चिंतन मंथन और अनुसरण करते हुए आचरण में उन्हें उतार लेने के अनूठे अवसर होते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि जैन पंथ में जन्म लेकर भी यम के पांच महाव्रतों का श्रद्धा से पालन करने के कारण हर योगी जाने अनजाने भगवान महावीर का अनुयाई है। कार्यक्रम में योगाचार्य आलोक श्रीवास्तव, योगेश दुआ, डा अशोक गुप्ता, यश राणा, संदीप सैनी, मनोज कुमार, दीपक मौर्य आदि ने भी अपने विवार रखे और योग मार्ग अपनाने को अपना सौभाग्य बताया।