भगवान की भक्ति ही भागवत है ,कंस ने भगवान को भय से पाया: प0 भगवती प्रसाद शुक्ल

नकुड 7 जून इंद्रेश। नगर के प्राचीन महादेव मंदिर मे चल रही भागवत कथा आचार्य भगवती प्रसाद शुक्ल ने भगवान श्री कृष्ण के विवाह व उनके मथुरा आंगमन की कथा का विस्तार से वर्णन किया।
श्री राधे गोविंद सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा कहते हुए प0 भगवती प्रसाद शुक्ल ने कहा कि कंस हमेशा श्री कृष्ण से शत्रुभाव रखता था। जब उसे ज्ञात हो गया कि श्री कृष्ण ही उसकी मृत्यु का कारण है तो उसने धोखे से श्री भगवान को मथुरा बुलाने का सोचा। कंस ने अक्रुर जी को धनुरयज्ञ को निमंत्रण लेकर वृंदावन जाने के लिये कहा। हांलाकि अक्रुर जी जानते थे कि कंस श्री कृष्ण को मारना चाहता है ।परतु श्री कृष्ण के दर्शन लाभ व संत हृदय होते हुए उन्होंने वृंदावन जाना स्वीकार कर लिया।
अक्रुर जी कसं को न्योता लेकर वृंदावन जाते है। रास्ते मे सोच रहे है कि श्री कृष्ण सत्य जानकर उनके साथ कैसा व्यवहार करेगे। फिर उन्हे विश्वास होता है कि वे तो श्री भगवान है व भक्त के हृदय के भाव को समझते है। अक्रुर जी वृंदावन पहुचकर श्रीकृष्ण व बलरामजी को कसं का न्योता देते है। जिसे श्री कृष्ण स्वीकार करते है। वे अक्रुर जी का आतिथ्य स्तकार करते है। सुबह होते ही दोनो भाई ग्वालबालो के साथ मथुरा के लिये चले। रास्ते मे सभी यमुना स्नान करते है। जंहा अक्रुर जी को भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य दर्शन हुए। प0 भगवती प्रसाद शुक्ल ने कहा कि यमनुा यम की बहन है। यमुना मे स्नान मात्र से यमदुतो के कष्ट दूर हो जाते है।
मथुरा पहुचकर श्री कृष्ण मथुरा के दर्शन करते है। वंहा कंस के मल्लो का मल्ल युद्ध में उद्धार करते है। साथ ही कसं का भी वध करके उसका उद्धार कर देते है। कसं ने भगवान श्री कृष्ण को भय से पाया। वह अपने जीवन मे भगवान से मृत्यु को भय खाता रहा। ओर इसी भय से उसने भगवान का सायुज्य पा लिया। कहा कि भगवान की भक्ति ही भागवत है।
कथा मे आचार्य प0 भगवती प्रसाद शुक्ल ने भगवान श्री कृष्ण व रूक्मणी के विवाह का भी विस्तार से वर्णन किया। इस मौके पर रादौर से कथा मे पहुचे रविंद्र शर्मा , मनोज गोयल, आलोक जैन, सात्विक पाठक, विपिन कपिल, प0 श्रेष्ठ शुक्ल, पं0 सक्षमकौशिक , पंकज जैन, पवन शर्मा, नवदीप मिततल , विजय त्यागी आदि उपस्थित रहे।