Deoghar Ropeway Accident: 44 घंटे के ऑपरेशन के बाद 46 लोग बचाए गए, जिंदगी के करीब आकर छूट गया दो लोगों का साथ

Deoghar Ropeway Accident: 44 घंटे के ऑपरेशन के बाद 46 लोग बचाए गए, जिंदगी के करीब आकर छूट गया दो लोगों का साथ
  • देवघर के त्रिकुट पर्वत पर हुए हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए चलाया जा रहा अभियान 44 घंटे बाद पूरा हो गया। मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 55 मिनट पर अभियान समाप्ति की घोषणा की गई। दो दिन में 46 लोगों की जान बचाई गई।

देवघर: करीब 44 घंटे के बाद देवघर में त्रिकुट पर्वत पर रोपवे में फंसे 46 लोगों को सुरक्षित नीचे उतार लिया गया। केबिन नंबर सात में फंसे छठी लाल साह को निकालने के बाद दोपहर करीब 12 बजकर 55 मिनट पर अभियान समाप्ति की घोषणा की गई। दो दिनों तक चले इस अभियान में भारतीय वायुसेना, आइटीबीपी और एनडीआरएफ की टीम ने जहां 46 लोगों की जान बचाई, वहां जिंदगी के करीब आकर भी दो लोगों का साथ छूट गया। वहीं इस पूरे हादसे में तीन लोगों ने अपनी जान गंवा दी।

छठी लाल साह से पहले इनकी पत्‍नी शोभा देवी को रेस्‍क्‍यू करने के क्रम में वह डेढ़ हजार फीट नीचे खाई में गिर गईं। गंभीर अवस्‍था में उन्‍हें सदर अस्‍पताल ले जाया गया, जहां डॉक्‍टर दिवाकर पासवान ने मौत की पुष्टि की। बताया जाता है कि ऊपर खींचते समय शोभा देवी से बंधी रस्‍सी का हुंक केबिन के गेट में फंस गया था। कमांडो इसे निकालने का प्रयास कर रहा था, लेकिन तभी रस्‍सी टूट गई और महिला करीब डेढ़ हजार फीट नीचे जमीन पर जा गिरीं।

मालूम हो कि मंगलवार सुबह छह बजे से ही इंडियन एयरफोर्स समेत आइटीबीपी व सेना के जवान और एनडीआरएफ की टीम के साथ स्‍थानीय लोग रोपवे में फंसे लोगों को बचाने की जद्दोजहद में जुटी थीं। इससे पहले सोमवार को भी 32 लोग बचाए गए थे, जबकि एक की मौत हो गई थी।

मंगलवार को सुरक्षित निकाले गए 14 लोग: मंगलवार को रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के दौरान 14 लोगों की जान बचाई गई। सुबह आयकर के एक अधिकारी नीरज किशोर के साथ इनके पुत्र नमन नीरज और अभिषेक नंदन को रेस्क्यू किया गया। छह नंबर केबिन में छठी लाल साह के पांच रिश्‍तेदार भी फंसे थे, जिन्‍हें सुरक्षित निकाल लिया गया था। वहीं सोमवार की शाम रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के दौरान लोगों को बचाने के लिए 20 नंबर केबिन में गया कमांडो वहीं फंस गया था। सोमवार शाम करीब पौने छह बजे हुए हादसे के बाद रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन को रोक दिया गया था, जिसकी वजह से कमांडो को भी पूरी रात रोपवे के केबिन में ही गुजारनी पड़ी। रेस्‍क्‍यू किए जाने के बाद इन सभी को सदर अस्‍पताल ले जाया गया। बताया जाता है कि वायु सेना की टीम ने एक केबिन से बेहोशी की हालत में दो लोगों को निकाला था। सोमवार को हुए हादसे के बाद मंगलवार को काफी एहतियात बरती जा रही है, लेकिन इसके बावजूद किस्‍मत ने शोभा देवी का साथ छोड़ दिया। जानकारी के अनुसार, रेस्‍क्‍यू के क्रम में एक कमांडो को भी चोट आई है।

सभी लोगों को निकालने के बाद ड्रोन कैमरे से दोबारा चेक किए गए सभी 12 केबिन: रोपवे में फंसे छठी लाल साह को निकाले जाने के बाद एक बार फिर सभी 12 केबिन को ड्रोन कैमरे की मदद से चेक किया गया। पूरी तरह संतुष्‍ट होने के बाद ही अभियान समाप्ति की घोषणा की गई। जानकारी के अनुसार, इंडियन एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्‍टर Mi 17 और Mi-17 V5 मंगलवार को सुबह से बचाव अभियान में जुटे थे।

कल निकाले गए थे 32 लोग, शाम में हादसे के बाद रोक दिया गया था अभियान: मालूम हो कि सोमवार की शाम तक चले रेस्क्यू आपरेशन के बाद 32 पर्यटकों को सकुशल निकाल लिया गया था। वहीं दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड निवासी रोजगार सेवक रमेश कुमार मंडल सेफ्टी बेल्‍ट खुल जाने से करीब डेढ़ हजार फीट नीचे गिर गए। शाम 5:50 पर जब राकेश को निकाला जा रहा था, उस समय वह हेलीकाप्टर तक पहुंच चुके थे, लेकिन इस बीच उनका हाथ सैनिक के हाथ से छूट गया और वह गहरी खाई में जा गिरे। इस हादसे के बाद व अंधेरा हो जाने की वजह से कल आपरेशन रोक दिया गया था। करीब 15 पर्यटकों को इसके बाद दूसरी रात भी खौफ के साये में गुजारनी पड़ी।

तीन लोगों की हुई मौत: रविवार की शाम पांच बजे रोप-वे हादसा हुआ। पहले दिन रविवार को रोप-वे खराब होने के बाद फंसे 88 पर्यटकों में से 40 निकाल लिए गए थे। कुल तीन लोगों की हादसे में मौत हुई। 21 पर्यटक घायल हुए। रविवार को महिला की मौत हुई थी। सोमवार को वायुसेना के रेस्क्यू आपरेशन के दौरान राकेश कुमार मंडल की ऊंचाई से गिरने से मौत हो गई। वहीं मंगलवार को शोभा देवी की जान चली गई।

रोप-वे का सैप टूटने से हुआ था हादसा: दरअसल रविवार को रोप-वे का सैप (पुल्ली) टूट जाने से हादसा हुआ था। इसी पुल्ली के सहारे तार पर केबिन सरकते हैं। इसके टूटने से दो केबिन आपस में टकरा गए। घटनास्थल पर मौजूद कई लोगों का कहना था कि रोप-वे का रखरखाव यदि ठीक होता तो यह हादसा नहीं होता। समय-समय पर रोप-वे की जांच होनी चाहिए। जिस रोपवे से इंसान जाते हैं, उसका सैप टूटना बताता है कि कहीं न कहीं खामी है। उसमें कोई न कोई कमी रही होगी, तभी वह टूटा। उसकी समय पर जांच होती तो कमी पकड़ में आ जाती।