नई दिल्ली : शुक्रवार रात को केंद्र के मोदी सरकार द्वारा दिल्ली के विषय में लाए गए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी बौखला गई है। आप नेता एक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह प्रेस वार्ता कर रहे है। अपनी इस प्रेस वार्ता के बारे में खुद संजय सिंह ने जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट शेयर की है।

इससे पहले दिल्ली सरकार की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने प्रेस वार्ता कर केंद्र सरकार पर हमला किया है। आतिशी ने कहा, आम आदमी पार्टी ने केंद्र द्वारा कल रात लाए गए अध्यादेश को लेकर आज सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि यह अध्यादेश लोकतंत्र की हत्या करने के लिए लाया गया है। यह अध्यादेश दिल्ली की शक्तियों को गैर संवैधानिक तरीके से छीनने का प्रयास है। यह केंद्र का पहला प्रयास नहीं है। जब 2015 में आम आदमी पार्टी 67 सीट जीतकर आई तो भाजपा की सरकार ने तीन महीने के अंदर-अंदर एक गैर-कानूनी नोटिस जारी कर अरविंद केजरीवाल सरकार की ताकत छीनने की कोशिश करी।

आतिशी आगे बोलीं कि आठ साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास पूरी ताकत है और यह ताकत है अफसरों की जवाबदेही, अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग, भ्रष्ट अफसरों पर एक्शन लेने की ताकत है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब हुआ कि अगर दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुना है तो निर्णय लेने की ताकत अरविंद केजरीवाल के पास है। लैंड, लॉ-एंड ऑर्डर और पुलिस को छोड़कर निर्णय लेने की ताकत अरविंद केजरीवाल की है लेकिन भाजपा से यह सहन नहीं हुआ।

वहीं, शुक्रवार को दिल्ली के अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाए जाने के बाद एकाएक सब कुछ बदल गया है। अब दिल्ली फिर से पुरानी राह पर चलेगी और अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिल्ली पर मान्य नहीं होगा।

क्या है केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश में

गर्वनमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस 2023 के जरिए केंद्र सरकार ने नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी (NCCSA) का गठन कर दिया है। राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग और सेवा से जुड़े फैसले अब एनसीसीएसए के माध्यम से होंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अथॉरिटी के मुखिया होंगे, लेकिन फैसला बहुमत से होगा। एनसीसीएसए में दिल्ली के सीएम के अलावा मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव गृह सदस्य होंगे। किसी भी विवाद की स्थिति में एलजी का फैसला अंतिम होगा। केंद्र के अधीन विषयों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में अथॉरिटी ग्रुप ए और दिल्ली में सेवा दे रहे DANICS अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की सिफारिश करेगी, जिस पर अंतिम मुहर एलजी ही लगाएंगे। इसका मतलब है कि अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास वह अधिकार नहीं रह गया, जो सुप्रीम कोर्ट से उन्हें मिला था। अध्यादेश को 6 महीने में संसद से पास करना होगा। इसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा।