Delhi Water Crisis: सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर होगी सुनवाई

Delhi Water Crisis: सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर होगी सुनवाई

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा से अतिरिक्त पानी रिलीज की मांग की है। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार का कहना है कि हरियाणा पर्याप्त जल की आपूर्ति नहीं करता, वहीं हरियाणा सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि हरियाणा दिल्ली को पूरा पानी देता है। ऐसे में दोनों सरकारों के बीच मामला उलझा हुआ है। गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है, ऐसे में दिल्ली में जल संकट हो सकता है। या फिर पानी की कमी हो सकती है।

दिल्ली सरकार लगातार दिल्ली में पड़ने वाली यमुना नदी में प्रदूषण के लिए भी हरियाणा को जिम्मेदार बताती रहती हैं। उधर, हरियाणा में सत्तासीन भारती जनता पार्टी सरकार का कहना है कि दिल्ली में यमुना को दूषित दिल्ली की इंडस्ट्रियां करती हैं। हरियाणा की ओर से दिल्ली को हर रोज 1133 क्यूसेक पानी की सप्लाई की जाती है।

उधर, दिल्ली सरकार की ओर से हरियाणा पर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि हरियाणा सिर्फ 479 एमजीडी पानी ही उसको मुहैया करा रहा है जबकि 609 पानी की जरूरत दिल्ली को हर रोज होती है। जल बोर्ड का आरोप यह भी है कि उसको कैरीड लाइन चैनल (CLC) के जरिए 549 क्यूसेक और दिल्ली सब ब्रांच (DSB) से 306 पानी क्यूसेक पानी ही सप्लाई होता है। यह हथनीकुंड व मुनक नहर के साथ-साथ भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के जरिए दिल्ली को सप्लाई किया जाता है।

वहीं हरियाणा का यह भी दावा करता रहा है कि वह हर रोज 120 क्यूसेक पानी यमुना के जरिए भी दिल्ली को मुहैया कराता रहा है। हरियाणा का दिल्ली पर लगातार यह भी आरोप लगता रहा है कि दिल्ली जल बोर्ड सीधे तौर पर मिलने वाले पानी को यूज नहीं करता है बल्कि वह खेती आदि के लिए भी हरियाणा से मिलने वाले पानी को प्रयोग करता रहा है। जल बोर्ड ने अपने वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों को भी अपग्रेड नहीं किया है। हरियाणा भी पानी के लिए सीधे तौर पर दूसरे राज्यों पर निर्भर है । ऐसे में दूसरे राज्यों से जिस आधार पर पानी मिलता है, वहीं हरियाणा की तरफ से दिल्ली को जरूरत के मुताबिक पर्याप्त पानी मुहैया करा दिया जाता है।