दिल्ली हिंसा: रुला देगी दो रिक्शेवालों की कहानी, एक दूध लेने निकला तो गंवाई जान, दूसरे का जला घर और परिवार लापता

- ब्रिजपुरी में रहने वाले 27 वर्षीय प्रेम सिंह बच्चों के लिए दूध लाने घर से निकले थे
- वेलकम पुलिस स्टेशन के नजदीक मिला था प्रेम सिंह का शव, बहन ने की पहचान
- न्यू मुस्तफाबाद इलाके में रहने वाले रिक्शाचालक मोइनुद्दीन का जला दिया गया घर
- मोइनुद्दीन की पत्नी और चार बच्चे उसी दिन से लापता हैं, नाले किनारे रहने को मजबूर
नई दिल्ली
हिंसा की लपटों ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सैकड़ों लोगों की जिंदगी को बर्बाद कर दिया है। हिंदू-मुस्लिम, अमीर, गरीब, दुकानदार और रिक्शाचालक सभी हिंसा के शिकार बने। दिल्ली के ऐसे ही दो रिक्शा चालकों की कहानी आपको रुला देगी। एक बच्चों के लिए दूध लेने निकला तो उपद्रवियों ने हत्या कर दी तो दूसरे के घर में आग लगा दी गई। उसकी पत्नी और चार बच्चे मंगलवार से लापता हैं और वह खुद नाले किनारे बैठा रोते रहते हैं।
गुरुतेग बहादुर (GTB) अस्पताल के मॉर्चरी के बाहर रविवार को सुनीता अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर पति के पोस्टमॉर्टम का इंतजार कर रही थीं। उनके पति प्रेम सिंह की उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने हत्या कर दी। ब्रिजपुरी में रहने वाले 27 वर्षीय प्रेम सिंह रिक्शा चालक थे। प्रेम सिंह मंगलवार को अपने बच्चों के लिए दूध लाने घर से बाहर निकले थे।
उजड़ गया मोइनुद्दीन का परिवार
न्यू मुस्तफाबाद इलाके में रहने वाले रिक्शा चालक मोइनुद्दीन का परिवार भी इस हिंसा में उजड़ गया है। उसके घर को आग लगा दिया गया और उसके उसके परिवार के सभी लोग उस दिन से लापता हैं। वह अपने चार बच्चों और पत्नी के साथ जिंदगी बिता रहे थे। 23 फरवरी को भड़की हिंसा के बाद मोइनुद्दीन की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। उसकी पत्नी और चार बच्चों का कुछ पता नहीं चल पा रहा है, जिनमें 10 साल की बेटी भी शामिल है। घर जला दिए जाने की वजह से अब वह एक नाले के किनारे रात काटने को मजबूर है।
‘पता नहीं कहां है मेरा परिवार?’
रोते हुए मोइनुद्दीन ने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि अब मेरा परिवार कहां है। जब स्थिति खराब होने लगी तो मैंने अपनी पत्नी को बच्चों के साथ किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाने को कहा। तब से मेरी पत्नी और बच्चों का कुछ पता नहीं चला है। मैंने पुलिस को सबकुछ बताया है। उन्होंने कहा है कि स्थिति सामान्य होने के बाद देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। कई लोग यहां मेरे परिवार की तलाश कर रहे हैं।’
मोइनुद्दीन ने कहा, ‘उसी दिन मैं 2000 रुपये का राशन खरीदकर लाया था, लेकिन अब सब तबाह हो चुका है।’ मोइनुद्दीन की मदद कर रहे दुकानदार अरुण कुमार ने कहा कि वह रात को उनकी दुकान के बाहर ही सोता है।
दिल्ली हिंसा: मस्जिद बचाने के लिए दंगाइयों के आगे हिंदू ने जोड़े हाथदिल्ली हिंसा को लेकर एक तरफ राजनीति हो रही है। आप नेता ताहिर हुसैन पर बयानबाजी का दौर चल रहा है। दूसरी तरफ दंगा प्रभावित इलाकों से ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं जो बताती हैं कि नफरत के बीच भी लोगों ने भाइचारे को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अशोकनगर इलाके में पहुंच नवभारत टाइम्स के रिपोर्ट मोहम्मद असगर ने लोगों से बात की तो पता चला कि किस तरह यहां कुछ हिंदुओं ने मस्जिद को दंगाइयों की भीड़ से बचाने के लिए उनके हाथ तक जोड़े। देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट।