बालिग युवती को किसी के भी साथ रहने का अधिकार, दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

नई दिल्ली । ‘बालिग युवती को किसी के साथ भी रहने का अधिकार है और इसमें दखल देना ठीक नहीं है।’ यह टिप्पणी की है दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने। लापता बहन को तलाशने की मांग को लेकर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि एक बालिग युवती को अपनी मर्जी से किसी के साथ और कहीं भी रहने का अधिकार है। पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए युवती को पति के साथ रहने की अनुमति दी। पीठ ने इसके साथ ही युवती को पेश करने के संबंध में उसके भाई की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा कर दिया।
बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर हाई कोर्ट ने की टिप्पणी
इस अहम सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली पुलिस को यह भी निर्देश दिया कि युवती को उसके पति के पास छोड़ दें और उसकी हिफाजत करें। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि युवती व उसके पति को बीट कांस्टेबल व थानेदार का मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया जाए, ताकि कोई समस्या होने पर वे संपर्क कर सकें। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि युवती के भाई व उसके स्वजन को समझाएं कि वे युवती व उसके पति पर दबाव नहीं डालें और न ही कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश करें।
युवती को उसके पति के साथ रहने की दी अनुमति
याचिका के अनुसार, यह युवती 12 सितंबर से लापता थी और उसके भाई ने उसे पेश करने को लेकर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। याचिका के बाद पुलिस ने युवती को तलाश कर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत के सामने पेश किया था। पुलिस ने अदालत को बताया कि युवती शादी के समय बालिग थी और युवती ने बयान भी दर्ज कराया है जिसमें युवती ने खुद को बालिग बताते हुए पसंद के व्यक्ति से शादी करने और उसके साथ रहने की बात कही है।