दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विधानसभा में पेश किया स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण बिल 2025, कहा- ‘शिक्षा बेचने की चीज नहीं है’

दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली विधानसभा में ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ पेश किया। उन्होंने कहा, “शिक्षा बेचने की चीज नहीं है, यह विधेयक शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए लाया गया है। हम यह विधेयक उन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ला रहे हैं जो शिक्षा बेच रहे हैं।”
29 अप्रैल को पारित कैबिनेट द्वारा अनुमोदित अध्यादेश के अनुसार, यह विधेयक मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कठोर दंड का प्रावधान करता है। पहली बार उल्लंघन करने पर, स्कूलों पर 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, और बार-बार उल्लंघन करने पर 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि स्कूल निर्धारित समय सीमा के भीतर राशि वापस नहीं करता है, तो जुर्माना 20 दिनों के बाद दोगुना, 40 दिनों के बाद तिगुना और हर 20 दिन की देरी के साथ बढ़ता रहेगा। बार-बार उल्लंघन करने पर स्कूल प्रबंधन में आधिकारिक पदों पर रहने पर प्रतिबंध लग सकता है और भविष्य में शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी छिन सकता है।
AAP ने किया विरोध
बता दें कि सीएम रेखा गुप्ता ने रविवार को साफ किया है कि ये बिल अभिभावकों के हित में है और स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाएगा। लेकिन आम आदमी पार्टी ने बिल का कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। आप नेता आतिशी समेत सीनियर नेताओं का आरोप है कि सरकार इस बिल के जरिए निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है। आप ने सवाल उठाया कि अगर बिल वाकई जनहित में है तो सरकार ने इसे अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया।
इस बिल के कानून के रूप में बदलने के बाद प्राइवेट स्कूल्स की फीस स्ट्रक्चर पर कड़े नियम लागू हो जाएंगे, जिससे मनमानी फीस बढ़ोतरी पर लगाम लग सकेगी।