दिल्ली बनी गैस चैंबर, बने हेल्थ इमरजेंसी के हालात; दर्ज किया गया सीजन का सबसे खराब एयर इंडेक्स

दिल्ली बनी गैस चैंबर, बने हेल्थ इमरजेंसी के हालात; दर्ज किया गया सीजन का सबसे खराब एयर इंडेक्स
  • पिछले 24 घंटे के दौरान हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के चार हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए। शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत पहुंच गई। इस कारण एक्यूआइ 471 तक पहुंचा गया।

नई दिल्ली : लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच दिल्ली- एनसीआर में शुक्रवार को हेल्थ इमरजेंसी वाले हालात बन गए। हवा लाक हो गई है एवं दिल्ली गैस एक बार चैंबर बन चुकी है। पूरा एनसीआर क्षेत्र स्माग की चादर में लिपट गया है। यही वजह रही कि शुक्रवार को एयर इंडेक्स भी इस सीजन का सर्वाधिक दर्ज किया गया। पीएम 2.5 में पराली के धुएं की मात्रा भी बढ़कर 35 प्रतिशत हो गई है। प्रदूषण के खतरनाक स्तर से जूझ रहे क्षेत्र के कई स्थानों पर दृश्यता महज 200 मीटर तक रह गई। सफर इंडिया की मानें तो शनिवार को हालात और बिगड़ेंगे।

हरियाणा एवं पंजाब में चले चार हजार से ज्यादा पराली

जानकारी के मुताबिक, पिछले 24 घंटे के दौरान हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के चार हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए। शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत पहुंच गई। इन्हीं सब कारकों ने 24 घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) को शाम चार बजे तक 471 तक पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई, जो इस मौसम में अब तक का सबसे खराब है।

हर साल एक से 15 नवंबर खराब होते हैं हालात

बृहस्पतिवार को दिल्ली का एक्यूआइ 411 था, जिसमें शुक्रवार को 60 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। मालूम हो कि पिछले आठ दिनों में से छह दिनों में शहर की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में लोग हर साल एक से 15 नवंबर के बीच सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं।

यह रहा एनसीआर का हाल

दूसरी तरफ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी एयर क्वालिटी बुलेटिन के अनुसार शुक्रवार को फरीदाबाद का एक्यूआइ 460, गाजियाबाद का 486, ग्रेटर नोएडा का 478, गुरुग्राम का 448 और नोएडा का 488 रिकार्ड किया गया। सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले सूक्ष्म कणों की 24 घंटे की औसत सांद्रता, जिसे पीएम 2.5 के रूप में जाना जाता है, बृहस्पतिवार आधी रात के आसपास 300 का आंकड़ा पार कर गई थी। वहीं शुक्रवार शाम चार बजे ही यह आंकड़ा 381 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया, जो कि सामान्य से छह गुना ज्यादा रहा

दिल्ली में आपातकाल वाली स्थिति क्यों?

ज्ञात हो कि पीएम 2.5 की सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। वहीं, पीएम 10 का स्तर भी छह गुना अधिक 577 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। इसकी सुरक्षित सीमा 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के अनुसार, यदि पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 48 घंटे तक क्रमश: 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर बना रहता है तो इसे वायु गुणवत्ता को आपातकालीन श्रेणी में माना जाता है।

पानी के छिड़काव भी बने कारण

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी सफर इंडिया के अनुसार, दीवाली के दिन से अभी तक नौ दिनों में दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने से कम से कम 25 प्रतिशत प्रदूषण हुआ है। सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि आमतौर पर पराली जलाने से पीएम 2.5 में योगदान होता है, लेकिन इस बार पीएम 10 में इसके मोटे कण भी दिल्ली के कई स्थानों पर प्रमुख प्रदूषक बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्दियों की अवधि में यह एक नई विशेषता है। रात में उच्च आ‌र्द्रता के कारण और दिन में शायद पानी के छिड़काव के कारण ऐसे कणों में वृद्धि होती है।

वातावरण में जम गए प्रदूषक कण

मौसम विभाग के मुताबिक, शुक्रवार सुबह में मध्यम स्तर का कोहरा और न्यूनतम तापमान 12.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हवा की गति लगभग शांत थी। इसी वजह से प्रदूषक कण उड़ नहीं पाए और वातावरण में जम गए। मध्यम स्तर के कोहरे के कारण ही इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सफदरजंग एयरपोर्ट पर दृश्यता का स्तर 200-500 मीटर तक गिर गया। उच्च आ‌र्द्रता के कारण कोहरा घना हो गया।