1962 युद्ध के हीरो आर वी जतर को खुद व्हीलचेयर में लेकर मेमोरियल पहुंचे रक्षामंत्री

- कुमाऊं रेजिमेंट के ब्रिगेडियर आर वी जतर (रिटायर्ड) ने 1962 के युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे. रेंजागला पोस्ट पर कब्जा करने नहीं दिया.
नई दिल्ली: भारतीय सैनिकों ने 1962 के युद्ध में चीनी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. इस दौरान कई सैनिकों ने कड़ाके ठंड में दुश्मनों को कड़ी टक्कर दी और उन्हें पीछे धकेलने में कामयाब हुए। इस लड़ाई में कुमाऊं रेजीमेंट ने अपना अदम्य साहस दिखाया. इसी रेजिमेंट के ब्रिगेडियर आर वी जतर (रिटायर्ड) (Brigadier RV Jatar (Retd) ने युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने (Rajnath Singh) आज रेजांगला में रेजांगला वॉर मेमोरियल (Rezang La War Memorial) का उद्धाटन किया. इससे पहले व्हीलचेयर पर ब्रिगेडियर को बैठाकर रक्षामंत्री उन्हें मेमोरियल तक ले गए.
13 कुमाऊं के ब्रिगेडियर आर वी जतर ने 1962 के भारत-चीन के युद्ध में अदम्य सहास का परिचय दिया था. चीन के साथ लड़ाई में वे कंपनी के कमांडर थे. उन्होंने चीनी सैनिकों के खिलाफ अंत तक लड़ाई लड़ी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जतर को स्कॉर्ट करते हुए कहा कि वह जतर के साहस को नमन करते हैं.
इस युद्ध की अगुवाई मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh) कर रहे थे। 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी ने कड़ाके की ठंड में चीनी सैनिकों मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह के साथ 98 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। हलांकि भारतीय जवानों ने चीन के 400 सैनिकों को मार गिराया था। चीन के भरसक प्रयास के बावजूद वह इस अहम पोस्ट पर अपना कब्जा नहीं जमा सका था।
चीन की नापाक हरकत
1962 के युद्ध इतिहास में चीन ने 18 नवंबर को तड़के सुबह 4 बजे भारतीय इलाके पर हमला किया था। चीनी सेना की मंशा दी कि लेह और चुशूल रोड लिंक को वाया दुंगती को ब्लॉक किया जाए। भारतीय जवानों ने चीन इस करतूत का करारा जवाब दिया था।
18,000 फीट पर भारतीय सैनिकों ने दिखाया पराक्रम
18 नवंबर 1962 को भारत-चीन (India-China War) युद्ध के दौरान 18 हजार फीट की ऊंचाई पर रेजांगला पोस्ट पर कुमाऊं रेजिमेंट (All Ahir) के 120 जवानों ने अपने पराक्रम का परिचय दिया था. भारत के वीर जवानों ने बड़ा बलिदान देते हुए चीनी सैनिकों को रेंजागला पोस्ट पर कब्जा करने नहीं दिया। इस युद्ध में कुमाऊं रेजिमेंट के जवानों ने कई चीनी सैनिकों को मारा गिराया था. इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा राष्ट्र ब्रिग्रेडर के साहस, वीरता और सर्वोच्च बलिदान को कभी नहीं भूलेगा.
इस युद्ध की अगुवाई मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh) कर रहे थे। 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी ने कड़ाके की ठंड में चीनी सैनिकों मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह के साथ 98 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। हलांकि भारतीय जवानों ने चीन के 400 सैनिकों को मार गिराया था। चीन के भरसक प्रयास के बावजूद वह इस अहम पोस्ट पर अपना कब्जा नहीं जमा सका था।
चीन की नापाक हरकत
1962 के युद्ध इतिहास में चीन ने 18 नवंबर को तड़के सुबह 4 बजे भारतीय इलाके पर हमला किया था। चीनी सेना की मंशा दी कि लेह और चुशूल रोड लिंक को वाया दुंगती को ब्लॉक किया जाए। भारतीय जवानों ने चीन इस करतूत का करारा जवाब दिया था।