चीन में आतंकवाद पर अपनी बात रखेंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA डोभाल भी होंगे साथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठकों के लिए चीन की यात्रा पर जा सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि सिंह के 25-27 जून तक क़िंगदाओ की यात्रा करने की संभावना है, जबकि डोभाल के 24-26 जून तक चीन की यात्रा पर जाने की संभावना है। इस साल मई में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य शत्रुता के बाद सिंह और डोभाल की अपने चीनी समकक्षों के साथ यह पहली बैठक होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को चीन के किंगदाओ में शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के दो दिवसीय सम्मेलन में आतंकवाद और उग्रवाद को खत्म करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ाने पर जोर देंगे।
सिंह सम्मेलन के लिए चीन के पूर्वी शांदोंग प्रांत के बंदरगाह शहर किंगदाओ की यात्रा कर रहे हैं, जहां क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों में गंभीर तनाव पैदा होने के बाद से यह किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की चीन की पहली यात्रा है।
एक आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार, सिंह के एससीओ के सिद्धांतों के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करने, वृहद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में भारत के दृष्टिकोण पर जोर देने और क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त और सतत प्रयासों का आह्वान करने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्री एससीओ के भीतर अधिक व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क की आवश्यकता पर भी जोर दे सकते हैं।
वह चीन और रूस सहित कुछ भागीदार देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत क्षेत्र में बहुपक्षवाद, राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देने में एससीओ को विशेष महत्व देता है।’’ इसमें कहा गया है कि एससीओ संप्रभुता, राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, आपसी सम्मान, समझ और सभी सदस्य देशों की समानता के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है।
अपनी चर्चाओं में, दोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में हाल के घटनाक्रमों की समीक्षा की और दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों को आगे बढ़ाने के महत्व की पुष्टि की। आपसी समझ बनाने और कूटनीतिक जुड़ाव को मजबूत करने के लिए लोगों के बीच अधिक से अधिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। एनएसए डोभाल ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के लिए ठोस प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा खतरों से निपटना आवश्यक है।
दोनों नेताओं ने आपसी हित के कई द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया, जो भारत-चीन संबंधों के व्यापक दायरे को दर्शाता है।