विकेंद्रीयकरण, बाजार मुक्ति एवं स्थानिकीकरण ही होगी समाधान की दिशा: गोविंदाचार्य
सहारनपुर [24CN] । भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री व भारत स्वाभिमान मंच के संस्थापक के.एन. गोविंदाचार्य ने कहा कि इस अंधाधुंध वैश्वीकरण की प्रवृत्ति केंद्रीयकरण, बाजारवाद, एकरूपीकरण और वैश्वीकरण की है जिसके समाधान की दिशा विकेंद्रीकरण, विविधिकरण, बाजार मुक्ति एवं स्थानिकीकरण होगी।
के. एन. गोविंदाचार्या आज गंगोह विकास खंड के गांव बीराखेड़ी स्थित शिव ग्रामोद्योग संस्थान में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वह विगत 20 वर्षो से विचारहीन वैश्वीकरण का समाज, राजनीतिक, अर्थनीति और संस्कृति पर पड़ रहा प्रभाव तथा आवश्यक समाधान विषय पर अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि तब से वह समाज के विभिन्न आयामों में सक्रिय रहते हुए अपने जमीनीं अनुभव से देश व समाज को जानने व समझने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसी क्रम में विगत दिनों सम्पन्न हुई गंगाजी की यात्रा, राम तपस्थली से गंगासागर और माता नर्मदा के दर्शन एवं अध्ययन प्रवास, अमर कंटक से अमर कंटक तक आस्थावान जिज्ञासु की यात्रा थी। मान्यता है कि श्री गंगाजी ज्ञान, श्री नर्मदा जी वैराग्य, श्री यमुना प्रेम की नदी है। इस अर्थ में इन तीनों यात्राओं को देख लें तो यह यात्रा ज्ञान से प्रारम्भ होकर वैराग्य से होते हुए प्रेम तक पहुंचने की यात्रा है। उन्होंने बताया कि भारत की स्वतंत्रता के 75वें अमर महोत्सव के अवसर पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की संध्या में पर प्रारम्भ होने वाली यह यात्रा भगवान श्रीकृष्ण के कर्म क्षेत्र व उनकी प्रेमलीला भूमि के दर्शन तथा इस पूरे क्षेत्र के कण-कण में रचे-बसे उनके प्रेमरस में अंतर्मन तक डूबने की यात्रा भी है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि यह यात्रा 28 अगस्त को यमुनोत्री से प्रारम्भ होनी थी परंतु भूस्खलन के कारण मार्ग अवरूद्ध हो जाने से यह यात्रा विकास नगर डाकपत्थर से प्रारम्भ होकर 14 सितम्बर को प्रयागराज में सम्पन्न होगी। इसके बाद वृंदावन में श्री बांकेबिहारी के दर्शन तथा बरसाने राधा क्षेत्र एवं भगवान श्रीकृष्ण के लीलास्थलों का दर्शन करते हुए अगले दिन दिल्ली वापस होगी।