एक विशेष वर्ग की नजरों में खटक रहा है दारूल उलूम… मौलाना अरशद मदनी

- दारूल उलूम में अपनी कक्षाओं में जाते छा
देवबंद [24CN]। दुनिया में इस्लामी तालीम के अजीम मर्कज दारूल उलूम में करीब डेढ वर्ष के बाद सरकार के दिशा निर्देशों व कोरोना प्रोटोकाल के मुताबिक शिक्षण कार्य बुधवार से शुरू हो गया। इससे पूर्व मंगलवार की रात्रि ऐतिहासिक मस्जिद रशीदिया में आयोजित छात्रों की एक तकरीब में दारूल उलूम में शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को इदारे के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नौमानी व इदारे के वरिष्ठ उस्ताद व जमियत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मेहनत व लगन के साथ तालीमी सफर शुरू करने की हिदायत दी।
इस दौरान मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रही थी जिसके चलते मदरसों में दी जाने वाली तालीम का सिलसिला भी रूक गया था। कहा की भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में एक विशेष वर्ग की नजरों में मदरसे व खास तौर पर दारूल उलूम कांटे की तरह चुभ रहा है। कुछ लोग आवाज उठा रहे है कि दारूल उलूम और इससे संबधित इदारे बंद कर दिये जाये। इन हालात में हम सभी को तालीम का काम बहुत निष्ठा व मेहनत के साथ करते हुये इस सिलसिले को कायम रखना है और अपने व्यव्हार व चरित्र को हजरत मौहम्मद साहब के सिद्धांतो के मुताबिक ढालना है।
बदले माहौल में शुरू हुआ तालीम का सिलसिलामौलाना अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि छात्र अपनी तमाम व्यस्तताओं से हट कर जिम्मेदारी के साथ अपने तालीम सफर की शुरूआत करें। उन्होने कहा कि समय बहुत कम है लेकिन उसके बावजूद कम समय में सभी छात्रों को मेहनत मशक्कत के साथ अपनी तालीम को पूरा करना है। उधर बुधवार को शिक्षण सत्र के पहले दिन दारूल उलूम में बिल्कुल अलग तरह का माहौल दिखायी दिया मंगलवार को जहां सभी कक्षाओं को सेनेटाइज कराया गया वही छात्र सोशल डिस्टेंसिग व मास्क लगाकर कक्षाओं में दाखिल हुये।