दलितों को घर में घुसकर पीटा, पुलिस ने भी दलितों के साथ कर दिया खेला

दलितों को घर में घुसकर पीटा, पुलिस ने भी दलितों के साथ कर दिया खेला
हमले में घायल पीड़ित

नई दिल्ली/सहारनपुर: दलित समाज के सबसे बड़े नेता बनने वाले चंद्रशेखर रावण के गृह जनपद सहारनपुर में मुस्लिमों ने दलितो के घर पर धावा बोल कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। मगर किसी भी दलित नेता के मुहँ से एक शब्द तक नहीं निकला। ऊपर से योगी की पुलिस ने भी दलितों के साथ बड़ा खेल कर दिया। दलित परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है।

घटना सहारनपुर जनपद में नकुड़ थाना अंतर्गत आने वाले गाँव याकूबपुर की है। नौ अगस्त को गाँव में स्थित गोगा महाड़ी के सेवादार दलित राजेश महाड़ी पर सेवा कर रहा था, तभी वहाँ आए मुस्लिम समाज के युवकों अज्जु व इशहाक से महाड़ी से चोरी हुए बेटरे व इंवर्टर के विषय में बाते करने लगा। इस बात पर दोनों युवक राजेश पर यह कहते हुए कि हम चोर है क्या? टूट पड़े। वहाँ से गुजर रहे दलित ऋषीपाल ने बीच बचाव करना चाहा तो दोनों युवक ऋषीपाल के साथ भी मारपीट करने लगे। ऋषीपाल दोनों से बचकर अपने घर आ गया। कुछ समय बाद दोनों युवक अन्य लोग साहिल, शिबबू व असगर के साथ फावड़े व लाठी डंडे लेकर ऋषीपाल के घर आ धमके व अपशब्द बोलते हुए उन पर हमला कर दिया। हमले में ऋषीपाल, उसका भाई कार्तिक उसकी चाची अनीता घायल हो गए। शोर मचाने पर आस-पड़ोस के लोग इकठ्ठा होने पर आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए भाग गए।

नौ अगस्त को ही पीड़ितों ने नकुड़ थाने में धारा 191(2), 115(2), 352, 333, 351(2), एससी/एसटी एक्ट 3(1)(द), 3(1)(ध) में मुकदमा दर्ज करा दिया।

पुलिस ने कर दिया खेला
एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस का खेल शुरू होता है। पुलिस आरोपियों को गंभीर धाराओं का हवाला देती है, बातचीत के बाद पुलिस का व्यवाहर ही बदल जाता है। पुलिस आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाए मामले को दबाने में लग जाती है। पुलिस ने आरोपियों को खुली छूट दी कि आरोपी पीड़ितों पर दबाव बना कर फैसला करा ले। 10 दिनों तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। आरोपियों ने अपनी पूरी ताकत फैसला करने में लगा दी लेकिन पीड़ित फैसला करने के लिए जब तैयार नहीं हुए तो आरोपियों ने पुलिस से ही खेला करा दिया। पुलिस आरोपियों का चालान मामूली धारा 151 में कर इतिश्री कर लेती है। जबकि जिन धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई थी उन धाराओं में कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। मामले में पुलिस की कार्यवाही पूरी तरह संदेहास्पद रही।

आरोपियों ने मुस्लिम सांसदों व पैसे का दिखाया रोब
पीड़ित कार्तिक व ऋषीपाल के अनुसार आरोपियों ने कई बार अलग अलग लोगों के माध्यम से उनके घर मैसेज भिजवाया कि “फैसला कर लें, पुलिस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती हमने पुलिस में पैसे भर दिए है जरूरत पड़ी तो ओर भर देंगे वैसे भी दोनों सांसद हमारे है।” फैसले का दबाव बनाने के लिए क्षेत्र के कई मुस्लिम ग्राम प्रधानो ने भी कई बार प्रयास किया।

अनुसूचित जाति आयोग व मुख्यमंत्री के यंहा लगाई इंसाफ की गुहार
पीड़ितों ने पुलिस से न्याय नहीं मिलता देख अनुसूचित जाति आयोग में मामले की शिकायत की है व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी शिकायती पत्र भेजा है।

भीम आर्मी से नहीं मिली मदद
पीड़ित दलित परिवार ने दलित नेता चंद्रशेखर की भीम आर्मी से मदद की गुहार लगाई लेकिन उन्हे कोई मदद भीम आर्मी से नहीं मिली। ऋषीपाल का कहना है आरोपी मुस्लिम समुदाय से है इसलिए भीम आर्मी से हमे कोई मदद नहीं मिली क्योंकि उन्हे मुसलमानो की वोट चाहिए दलित जाए भाड़ में।

 


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