गुरुग्राम । साइबर कैफे संचालक हंसराज राठी को झूठे मामलों में फंसने, पैसे मांगने और मारपीट करने के मामले में दोषी करार पुलिसकर्मियों एसआई रामदयाल, कांस्टेबल सुनील, राजेश और विनोद को जिला अदालत ने सजा सुना दी। इसमें एसआई रामदयाल को 5 साल एवं अन्य 3 को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही सभी पर 40-40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
मामला सितंबर 2009 का है। इससे पहले राजीव नगर इलाके में हंसराज राठी के साइबर कैफे में तीन सितंबर को क्राइम ब्रांच-46 की टीम ने यह आरोप लगाते हुए छापा मारा था कि कैफे में फर्जी वोटर कार्ड और आई कार्ड बनाए जाते हैं। छापे मारने वाली टीम में एसआइ रामदयाल, कांस्टेबल सुनील, राजेश और विनोद शामिल थे।
टीम ने कैफे से हंसराज राठी और उनके दोनों कर्मचारियों राजेंद्र और नरेंद्र को उठा लिया था। इस बीच एक लाख रुपये की मांग की। पैसे नहीं देने पर पांच सितंबर को छापे की कार्रवाई दिखाते हुए तीनों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज कराकर उन्हें जेल भिजवा दिया। नवंबर में तीनों को जमानत मिली। जब हंसराज कैफे में पहुंचे तो देखा कि सील है। फिर अदालत का सहारा लेकर कैफे को खुलवाया। कैफे के भीतर भी उन्होंने सीसीटीवी कैमरे लगा रखे थे। उसकी फुटेज खंगाली तो उसमें तीन सितंबर का पूरा घटनाक्रम कैद था। इसके बाद उन्होंने सीआइडी चीफ से शिकायत की कि उनके कैफे में तीन सितंबर को छापा मारा गया था न कि पांच सितंबर को। जांच हुई तो शिकायत सही पाई गई। इस पर जांच अधिकारी ने पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने की सिफारिश कर दी। सिफारिश के बाद चारों को निलंबित कर दिया गया था। आरोपितों में से रामदयाल सेवानिवृत्त हो चुका है।
मामले में शिकायतकर्ता के अधिवक्ता एनके जैन, अमित जैन और विपुल जैन का कहना है कि जिला अदालत ने चारों को अवैध वसूली, अवैध रूप से हिरासत में रखने, झूठा मामला दर्ज कराने और मारपीट करने का दोषी ठहरा दिया है। यह मामला उन पुलिस कर्मियों के लिए सबक के रूप में होगा जो अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं। वसूली के लिए झूठे मामलों में लोगों को फंसाने का प्रयास करते हैं।