जमानत का आधार कोरोना वायरस नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कैदी को इस आशंका के आधार पर कि जेल में रहने पर कोरोना हो सकता है, किसी को ज़मानत नहीं दी जा सकती. कोर्ट को हर केस में उसकी मेरिट पर विचार करना होगा.
नई दिल्ली: पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. इसकी चपेट में आकर कई लोगों ने अपनी जान गवाई है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम बयान दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कैदी को इस आशंका के आधार पर कि जेल में रहने पर कोरोना हो सकता है, किसी को ज़मानत नहीं दी जा सकती. कोर्ट को हर केस में उसकी मेरिट पर विचार करना होगा. दरअसल, यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इसी आशंका के आधार पर एक आरोपी को अग्रिम जमानत देने के फैसले को चुनौती दी थी. यूपी सरकार का कहना था कि जिसे ज़मानत मिली, वह एक ठग है. 130 मामले उसके खिलाफ पेंडिंग है. बहरहाल कोर्ट ने यूपी सरकार की अर्जी पर नोटिस जारी किया. जुलाई के पहले हफ्ते के लिए मामला सुनवाई के लिए लगाया. मीनाक्षी लेखी को एमिकस क्युरी नियुक्त किया है.
कोरोना से मौत के डर से नहीं मिल सकती अग्रिम जमानत
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अग्रिम जमानत पर फैसला केस की मेरिट के आधार पर किया जाना चाहिए. कोरोना संक्रम्ण होने से मौत के डर के चलते ऐसा नहीं किया जा सकता.