फर्रुखाबाद। पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान ‘ज्ञानवापी पर सभी पक्षों को अदालत का फैसला मानना चाहिए’ को अच्छा बताया है। कहा कि लेकिन उनके अपने ही लोग (हिंदू पक्ष) बयान को खारिज कर अपना राग अलाप रहे हैं। ऐसे में कैसे तय होगा कि किसकी बात को सही माना जाए। ईश निंदा प्रकरण में प्रवक्ता नूपुर शर्मा पर भाजपा की ओर से की गई कार्रवाई के बाद अब इस प्रकरण को यहीं समाप्त हो जाना चाहिए।

गांव पितौरा स्थित जाकिर महल में सोमवार को कार्यकर्ताओं से संपर्क के बीच पूर्व मंत्री ने पत्रकारों से वार्ता में ज्ञानवापी मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते हुए कहा कि जब कानून है तो उसी के अनुसार सुनवाई होगी व न्यायालय व्यवस्था देगा। इसलिए सभी धैर्यपूर्वक सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करें। इतिहास को कहां तक कुरेदा जाएगा। अतीत में मंदिर तोड़े गए, मस्जिदों को उजाड़ा गया, बौद्ध मठ भी तोड़े गए। आखिर कहीं तो लाइन खींचनी होगी।

उन्होंने कहा, संसद ने कानून बनाकर जो लाइन खींची है, उसका सभी को पालन करना चाहिए। जहां तक संभव हो, एक-दूसरे की भावना का सम्मान करें। भाजपा प्रवक्ता पर कार्रवाई के मामले में कहा कि जब उनके बयान पर देश में कुछ लोगों ने बयान देकर, उपद्रव करके विरोध किया तो पार्टी या सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब यही विरोध विदेश से हुआ तो कार्रवाई की गई। यह बात भी अच्छी नहीं।

सरकार को पहले देश की ही बात सुननी चाहिए थी। उन्होंने अपनी पत्नी पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद के साथ कार्यकर्ताओं से चर्चा की। इस दौरान कांग्रेस नेता पुन्नी शुक्ला, उजैर खां, शकुंतला देवी, प्रमोद जैन, अशफाक खां, अकील खां लाला, फिरोज खां आदि रहे।