खरगे के जरिए कांग्रेस बना रही सीक्रेट दलित जोड़ो प्लान

खरगे के जरिए कांग्रेस बना रही सीक्रेट दलित जोड़ो प्लान

मल्लिकार्जुन खरगे चुनाव जीतने के बाद पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के चैयरमैन राजेश लिलोठिया ने पूरे संगठन को भंग कर दिया यानी अब खरगे की कलम से नए सिरे से संगठन बनेगा. बूथ से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर नए पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी.

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को 24 साल बाद गैर-गांधी अध्यक्ष मिला और वो भी दलित समुदाय से. ऐसे में कांग्रेस अंदरखाने इसको बड़े पैमाने पर भुनाने के लिए रणनीतिक तैयारियों में जुट गई है. मल्लिकार्जुन खरगे चुनाव जीतने के बाद पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के चैयरमैन राजेश लिलोठिया ने पूरे संगठन को भंग कर दिया यानी अब खरगे की कलम से नए सिरे से संगठन बनेगा. बूथ से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर नए पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी.

सूत्रों के मुताबिक, इससे पहले पार्टी पूरे देश से दलित समुदाय और उसकी विभिन्न जातियों के आंकड़े बूथवार इकट्ठा कर रही है, जिसके आधार पर जिसकी जितनी संख्या और प्रभाव हो, उस आधार पर नीचे से लेकर ऊपर तक नियुक्तियां की जाएं. साथ ही खरगे की कलम से हुईं नियुक्तियों में आत्मसम्मान का भाव भी बढ़े, जिसे वो अपने समाज को पार्टी से ज़्यादा से ज़्यादा जोड़ सकें.

राष्ट्रीय स्तर पर दलित सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे

इसमें इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि, उदाहरण के तौर पर जहां जाटवों की संख्या ज्यादा हो वहां उन्हीं को कमान मिले, जहां बाल्मीकि ज़्यादा हों वहां उन्हें. लंबे वक़्त से पुराने नेताओं के रहमोकरम पर बने लोगों को बदल दिया जाए. इसके जरिए दलितों के बीच कांग्रेस का अध्यक्ष दलित है और फैसले ले रहा है, इसकी माउथ पब्लिसिटी दलितों के बीच की जाएगी.

इसके बाद बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर दलित सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें राहुल और प्रियंका भी हिस्सा लेंगे. इस पूरी कवायद की कमान दलित विभाग के चैयरमैन राजेश लिलोठिया को सौंपी गई है. इस पूरी रणनीति बनाते वक्त इस बाद का खासा ख्याल रखा जा रहा है कि, खरगे पर सिर्फ दलित नेता होने का ही तमगा न लगे. इसीलिए राहुल-प्रियंका को भी इस मुहिम से जोड़ा जाएगा.

दलित समुदाय से आने वाले खरगे तीसरे व्यक्ति

दरअसल, संजीवैया और बाबू जगजीवन राम के बाद खरगे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले तीसरे व्यक्ति हैं. ऐसे में अपने इतिहास में सियासी रसातल पर आई कांग्रेस अब अपने पुराने वोटबैंक को अपने हक़ में एकजुट करने की कोशिश में है. इसीलिए उदयपुर चिंतन शिविर में पास हुए प्रस्ताव के मुताबिक, आगे भी जब खरगे नए सिरे संगठन बनाएंगे, उसमें भी 50 फीसदी जगह दलित, आदिवासियों और ओबीसी को दी जाएंगी.

दरअसल, गांधी परिवार ने अपने सलाहकारों से मिलकर इस रणनीति पर चलना तय किया था. तभी अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार के अध्यक्ष के लिए दलित परिवार के खरगे के नाम अंदरखाने सहमति दी और यूपी में मायावती के वर्चस्व को तोड़ने की आस में सोनिया की कलम से दलित समुदाय के ही बृजलाल खाबरी को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष चुना. ये सोनिया का बतौर अध्यक्ष आखिरी आधिकारिक फैसले के तौर पर दर्ज हो गया. कुल मिलाकर गांधी परिवार और कांग्रेस सियासी तौर पर दलितों को 2024 के चुनावों में अपने पाले में लाकर मोदी सरकार से टकराने की जुगत में है.