कांग्रेस स्थापना दिवस: अंग्रेजों की मदद को बनी थी पार्टी? जानें- कैसे हुआ गांधी परिवार का कब्जा
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी का नाम आम-ओ-खास सभी ने सुना ही है। ये वो पार्टी है जिसकी स्थापना 134 साल पहले एक राजनीति के तहत ही की गई थी। मगर बदलते समय के साथ ये पार्टी एक खास परिवार के नाम से ही पहचानी जाने लगी। आज कांग्रेस पार्टी का मतलब गांधी परिवार है। कांग्रेस में इनकी मर्जी के बिना कुछ भी नहीं हो सकता।
इस पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास है वो जो चाहते हैं पार्टी में वो ही होता है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को आज 134 साल पूरे हो गए हैं। 28 दिसंबर 1885 को बनी कांग्रेस पार्टी का आज स्थापना दिवस है। आइए जानते हैं देश की सत्ता पर सबसे लंबे समय तक काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी का इतिहास? कैसे अंग्रेज अधिकारी द्वारा बनाई गई एक पार्टी एक समय के बाद गांधी परिवार के लिए पहचानी जाने लगी।
कांग्रेस पार्टी की स्थापना अवकाश प्राप्त आईसीएस अधिकारी स्कॉटलैंड निवासी ऐलन ओक्टोवियन ह्यूम (एओ ह्यूम) ने थियोसोफिकल सोसायटी के मात्र 72 राजनीतिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से की थी। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और वकीलों का दल भी शामिल था। 28 दिसंबर 1885 को कांग्रेस का पहला चार दिवसीय अधिवेशन मुंबई (तब बॉम्बे) के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुआ था, जिसके अध्यक्ष तब के बैरिस्टर व्योमेश चंद्र बनर्जी थे। पार्टी का दूसरा अधिवेशन ठीक एक साल बाद 27 दिसंबर 1886 को कोलकाता में दादाभाई नैरोजी की अध्यक्षता में हुआ था।
कांग्रेस गठन से पहले उस वक्त के न्याय मूर्ति रानाडे, दादा भाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, जी0 सुब्रहमण्यम अय्यर और सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसें नेताओं ने इसलिए हयूम से सहयोग लिया, क्योंकि वह शुरूआत में ही सरकार से दुश्मनी नहीं मोल लेना चाहते थे। उनका सोचना था कि अगर कांग्रेस जैसे सरकार विरोधी संगठन का मुख्य संगठनकर्ता, ऐसा आदमी हो जो अवकाश प्राप्त ब्रिटिश अधिकारी हो तो इस संगठन के प्रति ब्रिटिश सरकार को संदेह नहीं होगा। इस कारण कांग्रेस पर सरकारी हमले की गुंजाइश कम होगी। इसी के बाद एओ ह्यूम की मदद से इसकी स्थापना की गई।
आचार्य कृपलानी थे पहले अध्यक्ष
इनमें महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय, सुभाषचंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं। आजादी के बाद कांग्रेस के पहले अध्यक्ष आचार्य कृपलानी बने थे। आजाद भारत के पहले आम चुनाव में कांग्रेस ने जवाहर लाल नेहरू के दम पर चुनाव लड़ा और जबरदस्त जीत हासिल की थी।
क्या ब्रिटिश सरकार की मदद के लिए बनी थी कांग्रेस?
कांग्रेस के बारे में एक मिथक ये है कि एओ ह्यूम और उनके 72 साथियों ने अंग्रेज सरकार के इशारे पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की थी। माना जाता है कि उस समय के वायसराय लॉर्ड डफरिन के निर्देश पर ये संगठन इसलिए बना था ताकि 1857 की क्रांति की विफलता के बाद भारतीयों में पनप रहे असंतोष को फूटने से रोका जा सके। इस मिथक को कई जगहों पर सेफ्टीवॉल्व का नाम दिया गया था। गरमपंथी नेता लाला लाजपत राय ने ‘यंग इंडिया’ में वर्ष 1961 में प्रकाशित अपने लेख में सेफ्टीवॉल्व की इस धारणा का इस्तेमाल कांग्रेस के नरमपंथी नेताओं पर प्रहार करने के लिए किया था। कांग्रेस ने 1905 में बंगाल विभाजन के बाद अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संचालक एमएस गोलवलकर ने भी कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता के कारण उसे गैर-राष्ट्रवादी ठहराने के लिए सेफ्टीवॉल्व की धारणा का प्रयोग किया गया था।