मौलाना वहीदुद्दीन खान के निधन पर जताया शोक

सहारनपुर [24CN] । ऑल इंडिया उर्दू तालिमी बोर्ड के पदाधिकारियों ने इस्लामिक स्कॉलर व जाने माने लेखक वहीदुदीन खान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें खिराजे अकीदत पेश की। गौरीशंकर बाजार स्थित एक सभागार में आयोजित शोकसभा को सम्बोधित करते हुए ऑल इंडिया उर्दू तालिमी बोर्ड के संरक्षक सज्जाद हुसैन एडवोकेट ने कहा कि मौलाना वहीदुदीन खान को कुरान को समकालीन अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए भी जाना जाता था। इसके साथ जनवरी 2000 में मौलाना वहीदुदीन खान को देश का तीसरा सर्वोच्च पदम भूषण अवार्ड भी प्रदान किया गया। इसके अलावा उन्हें मदर टेरेसा की ओर से नेशनल सिटीजन्स अवार्ड व 2009 में राजीव गांधी नेशनल सद्भावना पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। जबकि जनवरी विगत जनवरी माह में मौलाना कल्बे सादिक के साथ मौलाना वहीदुद्दीन को भी देश के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार पदम विभूषण से भी नवाजा गया था।

महासचिव दानिश सिद्दीकी ने कहा कि मौलाना वहीदुद्दीन खान पर हमेशा आरएसएस और भाजपा के करीबी होने का आरोप लगता रहा। इसके कोई दो राय नहीं है कि मौलाना वहीदुद्दीन एक काबिजल शख्स थे और उनकी काबलियत उनके लेखों व तकरीरों से भी बयान होती थी लेकिन यह भी अपनी जगह कड़वी सच्चाई है कि मौलाना वहीदुद्दीन खान में तमाम काबलियत होने के बावजूद समाज में उनका विरोध इस बात को लेकर रहा कि वह आरएसएस व भाजपा की जुबान बोलते हैं या फिर उनके काफी करीबी रहे हैं। जबकि मौलाना वहीदुद्दीन खान का स्पष्ट कहना था कि मुझे तो राजीव गांधी सद्भावना अवार्ड भी दिया परंतु तब मुझे किसी ने कांग्रेस का करीबी नहीं कहा। पता नहीं लोग इस तरह की बात कहां से ले आते हैं। ख्वाजा सलमान नासरी ने कहा कि मौलाना वहीदुद्दीन खान हमेशा तीन तलाक के खिलाफ भी अपनी आवाज बुलंद करते रहे और जब यह मामला खूब सुर्खियों में रहा तब भी वह तीन तलाक के विरोध में अपनी बात रखते रहे।

उन्होंने कहा कि मौलाना वहीदुद्दीन खान ने जहां कई किताबें लिखी, वहीं अनेक समाचार पत्रों में समय-समय पर लेख लिखते रहे जिन्हें काफी पसंद किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि मौलाना वहीदुद्दीन खान के जाने से जो क्षति हुई है उसकी भरपाई असंभव है। इस दौरान जमाल जमाली, जुनैद, सज्जाद, फरहत अहमद, राफे सिद्दीकी, अरशद रहमारी, नवेदुल हक सिद्दीकी, अली समद आदि मौजूद रहे।