ख्वाजा राशिद व रशीद मसूद के निधन पर की शोकसभा
- उर्दू तालीमी बोर्ड के तत्वावधान में ख्वाजा राशिद फरीदी सज्जादे नसीन खानकाहे चिश्तिया फरीदिया रजबपुर शरीफ व काजी रशीद मसूद के निधन पर शोकसभा का आयोजन किया गया।
सहारनपुर। गौरी शंकर बाजार स्थित एक सभागार में आयोजित शोकसभा को सम्बोधित करते हुए खानकाहे नासरिया के उपाध्यक्ष ख्वाजा सलमान अहमद नासरी ने कहा कि ख्वाजा राशिद फरीदी व काजी रशीद मसूद का हमारे बीच से चले जाने हमारे लिए भारी नुकसान है जिसकी भरपाई मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। दोनों शख्सियतों का निधन हो जाने से जिले व मुल्क में गम और मलाल का माहौल है। उर्दू तालीमी बोर्ड के महासचिव दानिश सिद्दीकी व संरक्षक सज्जाद हुसैन एडवोकेट ने काजी रशीद मसूद व राशिद फरीदी को खिराजे अकीदत पेश करते हुए काजी रशीद मसूद एक अच्छे राजनेता के साथ-साथ शानदार व्यक्तित्व के धनी थे। नौ बार सांसद रहे काजी रशीद मसूद का सियासी सफर गंगोह से शुरू होकर संसद भवन तक पहुंचा था।
उन्होंने कहा कि केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री रहे काजी रशीद मसूद को सहारनपुर समेत पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हीरो माना जाता था। उर्दू तालीमी बोर्ड की परीक्षाओं व कार्यक्रमों में भी वह खूब सरपरस्ती करते थे। बोर्ड के पूर्व महासचिव डा. उस्मानउल हक सिद्दीकी के उर्दू कार्यक्रमों में उर्दू भाषा से सम्बंधित कार्यों में खास रूचि व सहयोग करते थे। रशीद मसूद का नाम अदबी हलकों से लेकर राजनीति तक में अदब के साथ लिया जाता था। रशीद मसूद का हमारे बीच से चले जाना उर्दू जुबान व अदबी महफिल से लेकर राजनीतिक मंच तक सूना कर गया। इस अवसर पर पीरजादा शाबाज जमाली, जुनैद सज्जाद, ख्वाजा सयान, नवेदुल हक सिद्दीकी, शहजाद मलिक, अब्दुल कादिर, राफे सिद्दीकी, रयान सिद्दीकी, नजमुल हसन फारूखी आदि मौजूद रहे।