लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य की अर्थ व्यवस्था 29.6 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है। देश की अर्थव्यवस्था में यूपी की हिस्सेदारी 8.4 से बढ़कर 8.9 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक राज्य की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत करने के लक्ष्य को लेकर ठोस रणनीति बनाने के निर्देश दिए।

सोमवार को आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति, विकास संरचना और राजस्व स्रोतों की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य की आर्थिक संरचना में स्पष्ट परिवर्तन दिखाई दे रहा है।

प्रदेश की अर्थव्यवस्था केवल आंकड़ों की प्रगति नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव का प्रमाण बन चुकी है। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 तक राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 29.6 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है।

इसमें वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में 80 प्रतिशत वृद्धि दिख रही है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की हिस्सेदारी में निरंतर वृद्धि हो रही है, जबकि कृषि आधारित हिस्सेदारी क्रमिक रूप से कम हो रही है। ‘मेक इन यूपी’ माडल को अगले दशक के लिए औद्योगिक रणनीति का आधार बताते हुए उन्होंने निर्देश दिए कि ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में नई इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहन दिया जाए।

इसकी सतत समीक्षा की जाए। सही आंकड़ें ही नीति निर्माण के सही आधार बनते हैं। यही प्रदेश को विकसित राज्यों की श्रेणी में तेजी से आगे ले जाने में सहायक होंगे। प्रदेश की अर्थव्यवस्था अब केवल आंकड़ों की प्रगति नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव का प्रमाण बन चुकी है।

मुख्यमंत्री को बताया गया कि खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2024-25 में 722 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है, जो कि वर्ष 2020-21 की तुलना में 100 लाख मीट्रिक टन अधिक है। जिलेवार उत्पादकता में अभी अंतर है। कुछ जिलों में गेहूं का उत्पादन 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई है तो कुछ जिलों में यह 30 क्विंटल के आसपास है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि यह अंतर कम किया जाए।

उन्हें बताया गया कि राज्य का दुग्ध उत्पादन देश में सर्वाधिक है, अंडा उत्पादन में भी सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल कुल उत्पादन पर्याप्त नहीं है, प्रति पशु उत्पादकता में सुधार लाने की आवश्यकता है। उन्होंने नस्ल सुधार, फीड प्रबंधन और डेयरी व्यवसाय से जुड़े आंकड़ों का नियमित विश्लेषण करने के निर्देश दिए।

विनिर्माण क्षेत्र की समीक्षा में बताया गया कि पंजीकृत फैक्ट्रियों की संख्या वर्ष 2024-25 में 27 हजार से अधिक हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विनिर्माण को जिलों में समान रूप से प्रसारित किया जाए, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और राज्य को राजस्व मिले।

उन्होंने ज़िला उद्योग केंद्रों की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता बताई जिससे उद्योगों से निरंतर संवाद और नई इकाइयों का पंजीयन तंत्र बेहतर बने।

राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के निर्यात में भी वृद्धि दर्ज की गई है। 2024-25 में 46,800 करोड़ रुपये मूल्य की आईटी सेवाओं का निर्यात हुआ, जो वर्ष 2021-22 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है।

पर्यटन, होटल और व्यापार जैसे सेवा क्षेत्रों में भी सकारात्मक संकेत देखे गए। विशेषकर कोविड के बाद से पर्यटकों के आने की संख्या में सुधार हुआ है।

दो प्रमुख राजस्व स्त्रोतों जीएसटी और आबकारी शुल्क की समीक्षा भी हुई। वर्ष 2024-25 में राज्य द्वारा एकत्रित जीएसटी 1.49 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 6.6 प्रतिशत अधिक है। आबकारी से 52,574 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ। इस राजस्व में प्रति वर्ष करीब 15 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व वृद्धि सेवा विस्तार और सामाजिक योजनाओं के विस्तार का आधार बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क परिवहन क्षेत्र भविष्य का संभावनाशील क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि निजी बस सेवाओं के लिए नए रूट चिह्नित किए जाएं। जिससे आम लोगों को आवागमन की सुविधा के साथ ही राजस्व के नये स्रोत बनेंगे। परिवहन क्षेत्र में रोजगार की भी बड़ी संभावनाएं हैं।