ठाकरे ब्रदर्स की सभा पर सीएम फडणवीस का पलटवार, बोले- विजयी सभा की जगह रुदाली भाषण हुआ

ठाकरे ब्रदर्स की सभा पर सीएम फडणवीस का पलटवार, बोले- विजयी सभा की जगह रुदाली भाषण हुआ

फडणवीस ने उद्धव पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे मुझे आशीर्वाद दे रहे होंगे। मुझे बताया गया था कि यह एक ‘विजय’ रैली होनी थी, लेकिन यह एक ‘रुदाली’ भाषण निकला।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि उन्होंने संयुक्त रैली में ‘रुदाली’ जैसा भाषण दिया। उन्होंने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे को दोनों चचेरे भाइयों को फिर से मिलाने का श्रेय देने के लिए धन्यवाद दिया। फडणवीस ने उद्धव पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे मुझे आशीर्वाद दे रहे होंगे। मुझे बताया गया था कि यह एक ‘विजय’ रैली होनी थी, लेकिन यह एक ‘रुदाली’ भाषण निकला।

फडणवीस ने कहा कि इस कार्यक्रम में मराठी के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला गया और उद्धव द्वारा दिया गया भाषण इस बात पर केंद्रित था कि उनकी सरकार कैसे गिराई गई और वे कैसे सत्ता हासिल कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह रैली विजय उत्सव नहीं बल्कि ‘रुदाली’ दर्शन थी।” उन्होंने कहा कि 25 साल तक मुंबई नगर निगम पर शासन करने के बावजूद, वे (अविभाजित शिवसेना) विकास लाने में विफल रहे।

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, मोदी के नेतृत्व में, हमने मुंबई को बदल दिया है। हमने मराठी लोगों को बीडीडी और पात्रा चालों (टेनेमेंट) में उनके उचित घर दिए, जिससे उन्हें (उद्धव के नेतृत्व वाले) जलन होती थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें मराठी और हिंदू होने पर गर्व है। सभी मराठी और गैर-मराठी लोग हमारे साथ हैं। महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं ने शनिवार को उद्धव और राज ठाकरे पर हमला बोलते हुए कहा कि मुंबई में उनकी संयुक्त रैली उनके राजनीतिक भाग्य को फिर से संवारने और निकाय चुनावों से पहले खो चुके आधार को वापस पाने की एक ‘हताश कोशिश’ है तथा यह आयोजन ‘पारिवारिक मेल-मिलाप’ जैसा था।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आशीष शेलार और भाजपा विधान परिषद सदस्य प्रवीण दरेकर ने इस आयोजन को लेकर ठाकरे भाइयों पर निशाना साधा। शेलार ने वर्ली के आयोजन को शिवसेना (उबाठा) द्वारा अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने का एक हताश प्रयास बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह के प्रति प्रेम के लिए रैली नहीं थी, बल्कि घर से निकाले गए भाई का सार्वजनिक तुष्टिकरण था। निकाय चुनाव में भाजपा की ताकत के डर से उन्हें अपना भाईचारा याद आ गया।’’


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