वक्फ कानून को लेकर ओवैसी, जमीयत के विरोध पर बोले चिराग पासवान- सुप्रीम कोर्ट दौड़ रहे हो पर कितने मुसलमान ऐसे…

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा ए हिंद, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद समेत 15 लोग अब तक सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर चुके हैं. इस पर लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास पासवान) प्रमुख और सांसद चिराग पासवान ने कहा है कि विपक्ष पिछले कानून का बचाव करने के लिए अदालतों में भाग रहा है, लेकिन ये भी देखिए कितने मुस्लिम ऐसे थे जो इस कानून के खिलाफ कोर्ट भी नहीं जा सकते थे.
द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम एक्सप्रेस अड्डा में चिराग पासवान ने वक्फ संशोधन कानून और उस पर विपक्ष के विरोध को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) हो या आर्टिकल 370 को हटाना हो हर बार विपक्ष ने विरोध किया, लेकिन वे गलत साबित हुए. उन्होंने कहा कि सीएए पड़ोसी मुल्कों में सताए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए लाया गया, जिसे लेकर विपक्ष ने गलत माहौल बनाने की कोशिश की कि इसका मकसद नागरिकता छीनना है. हालांकि, उनके ये पैंतरे काम नहीं कर सके.
चिराग पासवान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर भी ऐसा ही किया गया, लेकिन हाल ही में यहां हुए विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष गलत साबित हुआ. जैसा कि वो अनुच्छेद 370 को लेकर भविष्यवाणियां कर रहे थे, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस ने जीत हासिल की और उमर अब्दुल्ला फिर से मुख्यमंत्री बने.
5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया था, साथ ही राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो हिस्सों में बांट दिया गया था. ये दोनों केंद्र शासित प्रदेश हैं. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है, जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई हैं. 11 मार्च, 2024 को इसे देशभर में लागू किया गया था.
चिराग पासवान ने कहा कि अब वक्फ संशोधन कानून को लेकर भी विपक्ष का यही प्रोपेगेंडा है, लेकिन लोगों को समय के साथ समझ आ जाएगा कि वक्फ संशोधन कानून सही है और उनकी भलाई के लिए है. उन्होंने कहा, ‘आप (विपक्ष) पुराने कानून के बचाव के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन कितने ऐसे मामले हैं जो पिछले कानून के खिलाफ कोर्ट भी नहीं जा सके.’
वक्फ संशोधन कानून को प्रभाव में लाने के लिए 8 अप्रैल को केंद्र ने अधिसूचना जारी की थी, इसका मकसद 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव कर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है. वहीं, कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि क्फ एक धार्मिक संस्था है, उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) 26 (धार्मिक मामलों की व्यवस्था) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं ने कानून में बदलाव को अनुच्छेद 300A यानी संपत्ति के अधिकार के भी खिलाफ बताया है.