नई दिल्ली: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का लद्दाख सीमा से लगते अशांत शिनजियांग प्रांत का चार दिवसीय दौरा शुक्रवार को पूरा हो गया। इस दौरान शी ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों की सीमा पर सुरक्षा और अशांत प्रदेश में शांति बरकरार रखने के लिए प्रशंसा की। शी का शिनजियांग दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि वहां रहने वाले मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोप चीनी सेना पर लगते रहे हैं। वहीं आज भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता होनी है।
भारत और चीनी सेना के बीत 16वें दौर की वार्ता
चीनी राष्ट्रपति के साथ बैठक के दौरान गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में घायल हुए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रीजनल कमांडर की फबाओ भी मौजूद थे। इस बीच रविवार को भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता से पहले शी जिनपिंग का लद्दाख सीमा से लगे प्रांत का दौरा कर सैन्य कमांडरों के साथ बैठक करने को भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
भारत चीन पर बना रहा है पीछे हटने का दबाव
भारत की ओर से पूर्वी लद्दाख के विवादित ठिकानों पर शांति बहाल करने को चीनी सेना को पीछे हटाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। रविवार की वार्ता से पहले भारतीय पक्ष की ओर से देपसांग बुल्ज और देमचोक में विवादित मुद्दों के समाधान के लिए चर्चा पर चीन के राजी होने की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के परिणामस्वरूप पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों से दोनों पक्ष सेना को पीछे हट चुके हैं। गौरतलब है कि, 15 जून 2020 को गलवन घाटी में भारतीय सेना और चीनी आर्मी के बीच हुए भीषण संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे। एक ऐसी घटना जिसने दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष को चिह्नित किया गया था। वहीं, लंबे विलंब के बाद चीन ने अपनी ओर से चार लोगों के घायल होने की बात स्वीकार की थी।